बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था। 17 साल की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया था। उन्होंने कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया। वे 1962 में भट्याण आए थे।

संत श्री सियाराम बाबा जी अपने लोक में आज सुबह 6 बज कर 10 मिनट पर वापस चले गये बाबाजी के आदेश अनुसार अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे माँ नर्मदा के तट भट्यान में किया जाएगा मित्रों आज मोक्ष एकादशी है , गीता जयंती है

बाबा प्रतिदिन रामायण पाठ का पाठ करते और आश्रम पर आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं के हाथों से बनी चाय प्रसादी के रूप में वितरित करते थे।

बाबा के लिए गांव से पांच छह घरों से भोजन का टिफिन आता था, जिसे बाबा एक पात्र में मिलाकर लेते थे।

बाबा प्रत्येक श्रद्धालु से मात्र 10 रुपये दान स्वरूप लेते थे। बाबा ने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपये क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर में दान किए थे।

लगभग 20 लाख रुपये व चांदी का छत्र जाम घाट स्थित पार्वती माता मंदिर में दान किया।

निधन की सूचना के बाद बड़ी संख्या में भक्त उनके अंतिम दर्शन करने भट्टयान बुजुर्ग आश्रम (Sant Siyaram Baba Aashram Bhattyan) पहुंच रहे हैं।