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Nag Panchami : भारत देश विविधताओं और परंपराओं से भरी भूमि है, इस देश का हर त्योहार अपने भीतर कोई न कोई गहरा संदेश और रहस्य छुपाए होता है। नाग पंचमी का पर्व सिर्फ नागों और सर्पों की पूजा का दिन है, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलन, पौराणिक आस्था का महत्व, और जीवम के प्रति दया का प्रतीक भी है।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, हमारे समाज में सर्पों के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व को दर्शाता है। शिवजी के गले में विराजित वासुकि हों, या भगवान विष्णु की शय्या बने अनंत शेष — नाग केवल जीव नहीं, बल्कि दैविक शक्तियों के वाहक हैं।

आज के युग में, जहां इंसान और प्रकृति के बीच दूरी बढ़ती जा रही है, Nag Panchami हमें यह स्मरण कराता है कि प्रत्येक जीव — चाहे वह जितना भी भयावह क्यों न लगे — इस ब्रह्मांडीय संतुलन का एक आवश्यक भाग है।

अगर आप Nag Panchamiका महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि समग्र रूप में समझना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।

क्यों मानते हैं नाग पंचमी ? (Why Nag Panchami is Celebrated)

भारत में नाग और सांप को सिर्फ एक जीव नहीं बल्कि देवता भी माना जाता हैं। नाग को ऊर्जा, चेतना और रहस्य का भी प्रतिक माना गया हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार इस संसार के प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास हैं। लेकिन गाय के बाद अगर सबसे ज्यादा पूजे जाने वाला जीव हैं तो वह हैं सर्प उसका एक मुख्य कारन यह भी हैं की – उनकी महत्ता शिवजी और श्री हरि ने अनंत कर दी हैं – क्यों की शिवजी के गले में वासुकि ने अपने जीवन को अमर कर दिया और विष्णु की शैय्या बनकर शेषनाग ने खुद को अनंत कर लिया।

नाग पंचमी, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी (Nag Panchami) को मनाई जाती हैं। यह वह समय होता हैं जब प्रकति अपने सबसे हरियाली रूप में होती हैं सांप ही नहीं बल्कि बाकी जीव भी अपने बिलों से बाहर निकले रहते हैं। ऐसे में उनके प्रति सम्मान, रक्षा और क्षमा का भाव ही यह पर्व की सबसे बड़ी आस्था और महत्ता हैं।

नाग पंचमी 2025 में कब है? (When is Nag Panchami in 2025?)

नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जब विशेष रूप से नागों की पूजा कर उन्हें दूध, फूल, अक्षत और कुश अर्पित किए जाते हैं।

2025 में नाग पंचमी का पर्व — 29 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा।

हालांकि पंचमी तिथि का आरंभ और समाप्ति इस प्रकार है:

पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025, सोमवार – रात 11:24 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025, बुधवार – सुबह 12:46 बजे

चूंकि हिंदू धर्म में पर्व की तिथि सूर्योदय के अनुसार तय की जाती है, इसलिए 29 जुलाई 2025 को सूर्योदय के समय पंचमी (Nag Panchami) तिथि होने के कारण यही दिन नाग पंचमी के व्रत और पूजन के लिए मान्य होगा।

नाग पंचमी से जुडी पौराणिक कथाएँ (Nag Panchami Story)

Nag Panchami Story 1 : आस्तिक मुनि और नागों का उद्धार

बहुत समय पहले की बात है। जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, तब राजा परीक्षित (जो अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र थे) को शृंगी ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नामक नाग ने डस लिया था। परीक्षित की मृत्यु से उनके पुत्र जनमेजय अत्यंत क्रोधित हो गए।

राजा जनमेजय ने निश्चय किया कि वे अपने पिता की मृत्यु का बदला लेंगे और संपूर्ण नाग जाति का संहार करेंगे।

इसके लिए उन्होंने एक विशाल सर्प यज्ञ (सर्पसत्र) का आयोजन किया। अग्निकुंड में आहुति दी जाने लगी और यज्ञ की शक्ति से एक-एक करके सैकड़ों नाग जलते हुए आकाश से गिरने लगे और यज्ञ में भस्म होते गए।

नागों में हाहाकार मच गया। देवताओं और ऋषियों ने भी राजा जनमेजय को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका क्रोध शांत नहीं हुआ।

नागों की माता “मनसा देवी”, जो नागों की रक्षिका मानी जाती हैं, अपने पुत्रों की रक्षा को लेकर अत्यंत चिंतित हुईं। उन्होंने अपने पति ‘जरत्कारु ऋषि’ और अपने पुत्र ‘आस्तिक मुनि’ को इस संकट से नागों की रक्षा के लिए प्रेरित किया।

आस्तिक मुनि बाल्यावस्था में ही अत्यंत विद्वान, विनम्र और धर्मज्ञ थे। उन्होंने जनमेजय के यज्ञ स्थल पर पहुंचकर वेदों की स्तुति, ब्राह्मणों की प्रशंसा और यज्ञ की महिमा का गुणगान किया। राजा जनमेजय उनके वचनों से अत्यंत प्रसन्न हुए और बोले:

“हे महाप्रतापी ब्रह्मर्षि! इस समस्त संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप प्राप्त न कर सके हों। किंतु यदि आप मुझे योग्य समझें कि मैं आपके चरणों में कुछ अर्पण कर सकूं, तो कृपया मुझे वह सौभाग्य प्रदान करें।”

आस्तिक मुनि ने अवसर देखकर कहा:

“हे राजन्, यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं और खुद को मेरी सेवा लायक समझते हो तो, मेरी इच्छा का पालन करे और यह यज्ञ यहीं समाप्त कर दीजिए और नागों का विनाश रोक दीजिए।”

जनमेजय स्तब्ध रह गए। वे धर्मसंकट में पड़ गए, लेकिन उन्होंने वचन दिया था। अतः उन्होंने यज्ञ बंद करने की आज्ञा दी। उसी क्षण यज्ञ की अग्नि शांत हो गई और बचे हुए नागों की रक्षा हो गई।

इस प्रकार, आस्तिक मुनि के ज्ञान, विनम्रता और धर्म के कारण नागों की जाति का संपूर्ण संहार रुक गया।

कहते हैं कि उसी दिन को याद रखने के लिए श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को ‘नाग पंचमी’ (Nag Panchami) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करके उनसे क्षमा और कृपा की कामना की जाती है, क्योंकि उन्होंने भी त्रिलोक की रक्षा में भूमिका निभाई है।

Nag Panchami Story 2 : एक किसान, एक भूल और नाग माता की कृपा

बहुत पुरानी बात है। किसी गाँव में एक किसान अपने बड़े से परिवार के साथ रहता था। किसान के सात बेटे थे और उनकी पत्नियाँ भी थीं। पूरा परिवार मेहनत-मजदूरी और खेतों में काम करके ईमानदारी से जीवन बिताता था। हर दिन खेतों में पसीना बहाना, घर में सब मिलकर काम करना — यही उनकी दिनचर्या थी।

सावन का महीना चल रहा था। बारिश के कारण खेतों की मिट्टी नम थी और घर का हर कोना भीग चुका था। एक दिन, किसान की सबसे छोटी बहू गेहूं पीसने का काम कर रही थी। उसने जैसे आम तौर पर होता है, पीसने से पहले गेहूं को साफ करने के लिए आँगन की ज़मीन पर फैला दिया।

उसे यह बिल्कुल भी पता नहीं था कि बारिश और नमी के कारण कुछ छोटे नाग शावक (नागों के बच्चे) उसी गेहूं के ढेर में आकर छिप गए थे। जब उसने गेहूं को पीसना शुरू किया, तो अंजाने में उन नाग शिशुओं की मृत्यु हो गई।

यह हादसा उस समय तो किसी को नहीं दिखा, पर रात के अंधेरे में इसका भयानक परिणाम सामने आया। नाग माता, जिन्हें नागों की देवी माना जाता है, अपनी संतान की मृत्यु से अत्यंत क्रोधित हो गईं। उन्होंने इसे एक अपराध माना — भले ही वह भूल से हुआ हो, लेकिन उनकी दृष्टि में यह अन्याय था।

रात के समय, जब सब सो रहे थे, तब नागों ने चुपचाप आकर किसान के सातों बेटों को डस लिया। सुबह होते ही हाहाकार मच गया। एक साथ सात बेटों की मृत्यु देखकर किसान और उसकी पत्नी बेहोश हो गए, पूरा घर मातम में डूब गया।

पर इन सबके बीच, सबसे छोटी बहू, जो उस घटना की जड़ थी, भीतर से पूरी तरह टूट चुकी थी। उसने यह जाना कि गलती चाहे अनजाने में हुई हो, पर उसका कारण वही बनी। और यही आत्मबोध उसे बाकी सबसे अलग बनाता है।

अगले दिन, सुबह-सुबह वह स्नान करके, साफ साड़ी पहनकर, सिर ढककर, हाथ में जल, दूध, फूल और लड्डू लेकर खेत की ओर चल पड़ी, जहाँ नागों का वास माना जाता था। वह एक साफ जगह पर बैठी, धरती को छूकर प्रणाम किया, और नाग माता को पुकारकर क्षमा याचना करने लगी।

उसके शब्द सच्चे थे, आँखें भीगी थीं, और मन पूर्णतः पश्चाताप से भरा हुआ था। उसने कहा —
“हे नाग माता, मैंने जानबूझकर कुछ नहीं किया। परंतु यदि मेरी भूल से आपके पुत्रों को कष्ट हुआ है, तो मैं क्षमा माँगती हूँ। मैं अपने पति और परिवार को खो चुकी हूँ। यदि आपकी कृपा हो जाए तो मेरा घर फिर से बस सकता है।”

उसकी निष्ठा, भक्ति और पश्चाताप ने नाग माता का मन पिघला दिया। उन्होंने देखा कि यह स्त्री हृदय से खेदित है, और उसका पश्चाताप सच्चा है। इसलिए नाग माता ने उसे क्षमा कर दिया और उसके पति सहित सभी सातों भाइयों को जीवनदान दे दिया।

जब वह घर लौटी, तो पूरा परिवार जीवित खड़ा था। यह दृश्य देखकर सबसे पहले उसी ने नाग माता को धन्यवाद दिया और व्रत का संकल्प लिया।

उस दिन को, जब एक महिला की सच्ची श्रद्धा और प्रायश्चित से मृत प्राणों को जीवन मिला, आज भी ‘नाग पंचमी’ (Nag Panchami) के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन महिलाएं प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र पहनती हैं, सिर ढककर नाग देवता की पूजा करती हैं। कुछ लोग नागों का चित्र दीवार पर बनाकर दूध, चावल, पुष्प और कुमकुम से पूजन करते हैं, और नागों से क्षमा, सुरक्षा और संतान की कामना करते हैं।

Nag Panchami का दिन धर्म, श्रद्धा और पश्चाताप की शक्ति का प्रतीक बन गया है।

नाग पंचमी पूजन विधि, व्रत नियम और पारंपरिक मान्यताएँ (Nag Panchami Puja Method, Fasting Rules, and Traditional Beliefs)

पूजन विधि: श्रद्धा ही सच्चा आचरण है
पूजा करने से पहले केवल विधि नहीं, मन की शुद्धि ज़रूरी है। Nag Panchami Ki Pooja बहुत सरल और भावपूर्ण होती है।

  1. स्नान व संकल्प:
    सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और पूजा का संकल्प लें।
  2. नाग देवता की स्थापना:
    घर में मिट्टी, चांदी या चित्र रूप में नाग देवता को पीढ़े पर स्थापित करें।
  3. सामग्री रखें पास में:
  • दूब (त्रिदल घास)
  • गाय का दूध
  • चावल (अक्षत)
  • हल्दी, कुमकुम
  • दीपक, धूप, पुष्प
  • खीर या लड्डू
  1. पूजा करें इस भाव से:
  • सबसे पहले गंगाजल से स्थान शुद्ध करें
  • नाग देवता को दूध चढ़ाएँ (ज़मीन पर नहीं, थाली में)
  • चावल, दूब, कुमकुम अर्पित करें

यह मंत्र पढ़ें: (Nag Panchami Mantra)

“ॐ नमो अस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमन्।
ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः॥”

  • दीपक और धूप से आरती करें
  • नैवेद्य (लड्डू या खीर) अर्पित करें
  • कथा का पाठ या श्रवण ज़रूर करें

व्रत और नियम (Nag Panchami Fasting & Rules)

  • कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं — फलाहार या जल व्रत
  • मांसाहार, प्याज, लहसुन, मदिरा से परहेज करें
  • भूमि खुदाई, खेत जोतना या कोई निर्माण कार्य न करें
  • साँपों को नुकसान न पहुँचाएँ — उन्हें देवस्वरूप समझें
  • किसी पंडित या कन्या को भोजन कराना शुभ होता है

घर पर पूजा संभव है?

जी हाँ। गाँवों में अक्सर लोग खेतों या पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करते हैं, लेकिन यदि आपके आसपास कोई नाग मंदिर या पीपल का पेड़ नहीं है, तो घर पर ही चित्र रूप में पूजा करें। भावना ही असली भेंट है।

नाग पंचमी का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक संदेश (The Spiritual and Scientific Message of Nag Panchami)

आध्यात्मिक दृष्टि से नाग क्या हैं?

नागों को केवल ज़हर वाला जीव मानना भूल होगी। वे कुंडलिनी शक्ति के प्रतीक हैं। जो शक्ति हमारी रीढ़ के मूल में सुप्त है — वही नाग रूप में चित्रित होती है। यही कारण है कि योग में ‘सर्प शक्ति’ को जाग्रत करने की साधना की जाती है।

शिवजी के गले में वासुकि का होना भी दर्शाता है कि संतुलन, संयम और साहस एक साधक के लिए कितना ज़रूरी है।

पर्यावरणीय और वैज्ञानिक महत्त्व: (Environmental and Scientific Significance of Nag Panchami)

  • साँप चूहों को खाते हैं, जिससे अनाज की रक्षा होती है
  • ज़मीन की जैविक संरचना बनाए रखते हैं
  • किसी खेत या जंगल में साँप होना मिट्टी की सेहत का संकेत माना जाता है
  • नाग पंचमी हमें याद दिलाती है कि साँपों से डरने की नहीं, उन्हें समझने और सहजीवन की भावना रखने की ज़रूरत है।

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नाग चंद्रेश्वर मंदिर कथा

Conclusion : हमने इस लेख के माध्यम से नाग पंचमी (Nag Panchami) से जुड़ी पारंपरिक और धार्मिक जानकारियाँ आप तक पहुँचाने का प्रयास किया है — चाहे वह इसके पीछे की पौराणिक कथाएँ हों, पूजन विधि हो, व्रत के नियम हों या इससे जुड़ी मान्यताएँ।

हमारा उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि उस श्रद्धा और संस्कृति को भी समझाना है जो पीढ़ियों से इस पर्व से जुड़ी रही है। हमने कोशिश की है कि सब कुछ सहज भाषा में समझाया जाए ताकि यह सिर्फ एक पर्व न रहकर, आपके जीवन का हिस्सा बन सके।

अगर इस लेख में कोई त्रुटि रह गई हो या आप कुछ जोड़ना चाहें, तो हमें जरूर लिखें। आपका सहयोग ही Dharmakahani.com को बेहतर और विश्वसनीय बनाता है।

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