Sawan 2024 Special Ujjain 84 Mahadev Mankamneshwar Mahadev (12) 84 महादेव सीरीज के तेरहवें महादेव श्री की कथा (Mankamneshwar Mahadev katha)
दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के बारहवें महादेव श्री की कथा (Mankamneshwar Mahadev Story) बताएँगे की कैसे भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री मनकामनेश्वर महादेव (Mankamneshwar Mahadev) पड़ा।
जैसे की आप जानते हैं 22 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया हैं। कहा जाता हैं सावन के माह में भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के साथ धरती पर आते हैं। सावन माह में सच्चे दिल से पूजा अर्चना की जाये तो महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। यदि सावन के महीने में 84 महादेव के दर्शन किये जाये तो आपके जीवन में आई सभी समस्याएँ दूर हो जाएगी, परन्तु दर्शन करने का समय ना हो तो आप 84 महादेव की कथा का वाचन या कहे पढ़ लेने से ही आपको महादेव की कृपा मिल जायगी।
आइये सावन के पवित्र माह में जाने Ujjain 84 Mahadev, 84 Mahadev kaun se hai?, 84 mahadev kaha hai, 84 mahadev ke naam kya hai, Mankamneshwar Mahadev kaha hai.
Ujjain 84 Mahadev Mankamneshwar Mahadev: श्री मनकामनेश्वर महादेव
विद्धि कामेश्वरं देवि तत्र लिंगं त्रयोदशम् ।
यस्य दर्शनमात्रेण सौभाग्यं जायते शुभम्
Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Mankamneshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री मनकामनेश्वर महादेव मंदिर
उज्जैन स्थित पावनी माँ क्षिप्रा नदी के तट पर पुरानी छोटी रपट के पास लगभग 6 – 7 सीढ़ियाँ चढने के बाद गंधर्व घाट पर मनकामनेश्वर मंदिर (Mankamneshwar Mahadev Location) स्थित हैं। इसी मंदिर के थोड़ी पीछे चौरासी महादेव में से बीसवें महादेव श्री प्रतीहारेश्वर महादेव मंदिर और सत्तरवें महादेव श्री दुद्र्धर्षेश्वर महादेव मंदिर भी उपस्थित हैं।
श्री मनकामनेश्वर महादेव मंदिर की दुरी की बात करें तो हम इंदौर से बता रहे हैं क्योंकी इंदौर से कनेक्टिविटी सही हैं इंदौर एक ऐसा शहर है जहा से आपको बस, ट्रैन, प्लेन सभी की कनेक्टिविटी मिलती हैं। इंदौर से श्री मनकामनेश्वर महादेव मंदिर की दुरी 55 km हैं।
Detail of Shri Mankamneshwar Mahadev / श्री मनकामनेश्वर महादेव का वर्णन
श्री मनकामनेश्वर शिवलिंग चार इंच ऊँचा हैं जो लगभग 3 फ़ीट चौड़ी उत्तर मुखी जलाधारी के मध्य स्थित हैं। जलधारी में पीतल के नागराज शिवलिंग की ओर आते हुए प्रतीत होते है। लगभग साढ़े चार फ़ीट ऊँचे एक पुराने और काले पत्थर पच्छिम मुखी प्रवेश द्वार के पास ही बाई ओर पर ताक पर जगत जननी माँ पार्वती, वही सामने 4 इंच ऊँचे ताक पर गौरी नंदन गणेश के साथ देव सेनापति कार्तिकेयजी भी विराजित हैं।
यहाँ मंदिर की दीवारों और निचे टाइल्स लगा दी गयी हैं। लगभग 250 वर्गफीट खुले स्थान पर चार प्राचीन काले पत्थरों के खम्बों के बीच संगमरमर के नंदी महाराज विराजित हैं।
Shri Mankamneshwar Mahadev Important Information
1 | Article | 84 Mahadev Series |
2 | Mahadev | Shri Mankamneshwar Mahadev |
3 | Location | Mahakal-Van (Ujjain) |
4 | What is the number of this Mahadev in 84 Mahadev? | 13th Mahadev |
5 | Distance from Indore (Nearest Airport) | Approx. 60 KM |
Mahadev Mankamneshwar Mahadev history/Story/ श्री मनकामनेश्वर महादेव कथा
एक समय की बात है की माँ पार्वती ने शिवजी से अपने दिव्य शिवलिंग मनकामनेश्वर की कथा का वर्णन करने के लिए प्रार्थना करते हैं तब महादेव जी ने माँ पार्वती से कथा कहानी आरंभ की –
एक समय की बात हैं ब्रम्हाजी प्रजा की कामना से ध्यान कर रहे थे। तभी उनके सामने एक बहुत ही सुन्दर बालक प्रकट हुआ। बालक को देख कर ब्रम्हाजी बड़े प्रसन्ना हुए उन्होंने उस बालक का नाम कंदर्प रखा। कंदर्प का उन्होंने प्रेम से पालन किया। एक समय कंदर्प ने ब्रम्हाजी से अपने प्रकट होने का कारण पूछा तब ब्रम्हाजी ने उसे वृतांत सुनाया और उसे सृष्टि के कार्य में भागीदार होने का आदेश दिया।
कंदर्प कुछ समय तक ब्रम्हाजी से मिलें न आया और कही छिप गया। ब्रम्हाजी ने दिव्य नेत्र से उसका पता लगाया और उस पर क्रोधित होते हुए श्राप देकर बोले की “तुम महादेव शिव की नेत्रों की क्रोधा अग्नि से जलकर भस्म हो जाओगे।” यह सुनकर कंदर्प ने ब्रम्हाजी से क्षमा दान का आग्रह किया और उन्हें प्रसन्न होने की प्रार्थना करने लगा। ब्रह्माजी कुछ समय बार शांत हो गए।
ब्रम्हाजी ने प्रसन्न चित से उसे आशीर्वाद दिया और उसे कहा की मैं तुम्हे जीवित रहने के लिए बारह स्थान देता हूँ जो स्त्री के भाग होंगे “कामिनीगण के कटाक्ष, केश, जंघा, स्तन, नाभि, बाहुमूल तथा अधर पल्लव तथा वसंत, कोकिला लाप, ज्योत्सना तथा जलदागम।” साथ ही उसे पुष्प धनुष और पांच बाण भी दिए। यह सब लेकर कंदर्प प्रसन्न चित से धन्यवाद देकर वहा से चला गया।
कुछ समय बाद कंदर्प की सुंदरता और ब्रम्हदेव के दिए आशीर्वाद और दिव्य बाण के कारण कामदेव नाम से जाने जाने लगे। कामदेव अपने बाणों से सभी को निपाडित करने लगे। और रति से विवाह कर अपने धर्म का पालन करने लगे।
फिर एक समय मैं अपने तप में लीन था और समस्त संसार मुझे तुमसे मिलाने को आतुर था। शिवशक्ति के मिलन से संसार का चक्र पूर्ण रूप सुचारु रूप से चलाने के लिए देवराज इंद्र के आदेश पर कामदेव ने मेरे मन को काम में वशीभूत करने के लिए बाण छोड़े कित्नु बाण मुझ तक पहुंचने से पहले ही मैंने कामदेव को तीसरे नेत्र की क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया।
रति ने मेरे सामने विलाप किया और खुद भी आत्मदाह करने के लिए तत्पर हो गयी। किन्तु मैंने उसे ये करने से रोक दिया और ब्रम्हदेव का श्राप याद दिलाया जो कभी काटा नहीं जा सकता था और नियति की बातों से उसे समझाया और बताया की ब्रम्ह श्राप को काट नहीं सकते लेकिन में उसे मैंने अनंग कर दिया।
उसके बाद देवताओं ने श्रीहरि विष्णु की इच्छा और प्रेरणा से अनंग रूप में कामदेव को महाकाल वन में स्थित जगह पर दिव्य शिवलिंग का पूजन करने का आदेश दिया। उस लिंग की कृपा से भगवान भोलेनाथ शिव ने कामदेव को फिर से जन्म देने का आशीर्वाद दिया और कहा की द्वापरयुग में तुम द्वारिका नरेश भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी के यहाँ जन्म लोगे तथा तुम्हें फिर से रति प्राप्त होगी।
शिवलिंग की कृपा पाने के बाद कामदेव और सभी देवों इस दिव्य शिवलिंग को कामेश्वर, मनकामेश्वर और मनकामनेश्वर नाम देकर जय जयकार करने लगे।
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Shri Mankamneshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री मनकामनेश्वर महादेव की पूजा का महत्व
उज्जैन स्थित मनकामनेश्वर महादेव मंदिर की महत्व बताते हुए यहाँ के पुजारी बताते है की यहाँ पूजन और अभिषेक करने वाले से ही नहीं बल्कि मात्र दर्शन करने से भी मनुष्य को सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। यहाँ पूजन, दर्शन और अभिषेक करने वाले को दीर्घायु, निर्मलरूप, ऐश्वर्य और परमसुख की प्राप्ति के साथ ही कलान्वित स्त्री तथा निरोग सन्तति लाभ प्राप्त करेंगे। यहाँ वैसे तो वर्षभर लोग दर्शन करते है किंतु यहाँ चतुर्थी, अष्टमी, संक्रांति, सोमवार के साथ ही सावन का में पूजन और अभिषेक का महत्व माना गया हैं।
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वीडियो में पंडित जी उज्जैन 84 महादेव के दर्शन व पूजन का महत्त्व बता रहे हैं जिसके बारे में जानना जरुरी हैं। हमारी कोशिश रहती हैं की हमारे रीडर्स को सम्पूर्ण जानकारी दे।
हम महादेव से प्रार्थना करते हैं की आपके और आपके परिवार के ऊपर अपनी कृपा बनाये रखे। और आप भी इस सावन माह में आपके पास वाले शिव मंदिर जरूर जाये और महादेव की पूजा अर्चना सच्चे मन से करें।