
Sengol : हमारे देश भारत के नए संसद भवन का 28 मई 2023 को होने जा रहा हैं। देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने कहा है की नए संसद भवन को हमारे देश के इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक प्रयास है। इसी प्रयास में एक ऐतिहासिक परंपरा को जीवित करते हुए संसद भवन सेंगोल को स्थापित किया जाना हैं।
सेंगोल क्या है? (What is Sengol )
तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से सेंगोल शब्द की उत्पत्ति हुई है, जिसका अर्थ है धर्म, सत्य और निष्ठा। सेंगोल को तमिलनाडु के लोगों द्वारा अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू के सुप्रत किया गया था।
सेंगोल एक राजदंड है, चोल साम्राज्य में इसका इस्तेमाल नए उत्तराधिकारी को सत्ता हस्तांतरित करने के दौरान किया जाता था। चोल साम्राज्य की परंपरा के अनुसार जब भी कोई राजा अपने राज्य के लिए नया उत्तराधिकारी घोषित करता था। उस समय नए उत्तराधिकारी को राजा प्रतीक के रूप में यह सेंगोल राजदंड सौंप देता था।
क्यों हैं संगोल की सुर्खिया ?
देश के केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने ‘सेंगोल’ देने की पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह हम भारतीयों को अंग्रेजों से मिली शक्ति का एक प्रतीक है। श्री अमित शाह ने यह भी कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के पहले देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से सेंगोल की अगवानी करेंगे।
इसके बाद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इसे नए संसद भवन में रखेंगे। सेंगोल को स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह आगे बताया, की “इस पवित्र सेंगोल को एक संग्रहालय में रखना बहुत ही अनुचित है। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उपयुक्त स्थान नहीं हो सकता है।”
इस समय कहा रखा गया है सेंगोल ?
सेंगोल को प्रयागराज के नेहरू संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया था, अब भारत सरकार इसे नए संसद भवन में स्थापित करेगी।
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