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Kanwar Yatra 2024 Date & Attractive Facts : कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा, क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व?

Kanwar Yatra 2024 : महादेव भक्तों के लिए सबसे बड़े और उत्साह का माह सावन महीना शुरू होने वाला हैं, इसी के साथ भक्त विभिन्न नदियों का जल कांवड़ में भरकर अपने आराध्य प्रभु महादेव को चढाने निकल पड़ते है। इस पवित्र और धार्मिक यात्रा को करने वाले भक्तों की तादाद पिछले दो दशक में बढ़ी है। इन कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra 2024) करने वाले भक्तों को लोग आम भाषा में कांवड़ियें या कावड़ियों के नाम से पुकारते है। तो आइये हम जानते है कांवड़ यात्रा (Kavad Yatra 2024) से जुडी कुछ जानकारी।

Table of Contents

कब से शुरू होंगी कांवड़ यात्रा ? (Kab Shuru Hogi Kanwar Yatra)

महादेव भक्तो की यह धार्मिक और पवित्र यात्रा की आरम्भ तिथि जिसे हम कांवड़ यात्रा (Kavad Yatra ki date) कहते है। इस वर्ष 2024 में 22 जुलाई, सोमवार से शुरू हो रही है। इसी दिन से भक्त देश के अलग अलग कोनो से पवित्र नदियों का जल लेकर शिवालयों के शिवलिंगो पर जल चढ़ाते है और अपने आप को धन्य मानते है।

कैसे शुरू करते हैं कांवड़ यात्रा? (Kaise Shuru Karte Hain Kanwar Yatra)

सबसे पहले कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तो को अपने मन में ही इस यात्रा के लिए कठिन प्रण लेना होता हैं। ऐसा इसलिए की उन्हें कांवड लेकर बहुत दूर पैदल ही चलना होता हैं पैदल चलने के साथ ही उन्हें बिना किसी चप्पल या जुते के चलना हैं जो हर किसी के लिए आसान नही होता। इसलिए पहले कांवड़ियें को अपने तन, मन और प्रभु के प्रति समर्पण की भावना मजबूत करनी चाहिए।

क्या होती हैं कांवड़? (Kya Hoti Hain Kanwar)

‘कावड़ के ये घट दोनों ब्रह्मा, विष्णु का रूप धरें। बाँस की लंबी बल्ली में हैं, रुद्र देव साकार भरे।’

कांवड़ियें सबसे पहले 2 मटकियों किसी पवित्र नदी का जल भर लेते हैं। पहले लोग मिट्टी या तांबे के मटकों का उपयोग करते थे। लेकिन अब लोग प्लास्टिक के मटको का भी इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन यह उपयोग करना वर्जित तो नहीं है पर सही भी नहीं हैं। अब इन मटकियों को बांस की छोटी 3 स्टिक पर अलग अलग रखा जाता हैं जिससे मटकियों के लिए मजबूत आधार बना रहे। फिर उन बांस के आधार तथा मटकियों को एक मजबूत पर थोड़ी लचीली लकड़ी के दोनों कोनो बाँधा जाता हैं। जो एक तरह से तराजू जैसे दिखाई देता हैं।

आजकल लोग सिर्फ तांबे के लोटो को भर कर रस्सी से बांधने के बाद काँधे पर लटका कर चलते हैं। और फिर इन्हीं मटकियों का जल शिवालयों में जाकर अर्पित करते हैं।

कैसे होते हैं कांवड़ियों के जत्थे? (Kaise Hote Hain Kanvadiyo group)

आजकल कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra Group) कई अलग – अलग भक्त मंडलीयों या व्यक्ति विशेष द्वारा आयोजित होती हैं। जिससे समय समय पर यात्रा के दौरान एक दूसरे की सहायता हो सके। आयोजक कांवड़ यात्रा के इच्छुक लोगो से एक तय धनराशि लेते है या कभी कभी यह फ्री होतीं है। धन राशि लेने का तात्पर्य हैं की कांवड़ियों की यात्रा के दौरान व्यवस्था हो सके। हालांकि कांवड़ियों की सेवा के लिए हर गांव या नगर में समिती पहले से बनी होती हैं जो महादेव के इन भक्तो के लिए भोजन, नाश्ता या चाय आदि की व्यवस्था निःशुल्क करती हैं।

कांवड़ियों के पहनावे (Kanwar Yatra ke pahanave)

जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की यह यात्रा आजकल की मंडल या व्यक्ति विशेष द्वारा आयोजित होती हैं। इसलिए एक अलग पहचान के लिए कांवड़ियों को प्रिंटेड टी-शर्ट दी जाती है जिसमे अपने अपने समूह का नाम होता हैं। या लोग यात्रा (Kavad Yatra cloths) के लिए गेरुए और लाइट वेटेड कपडे पहनते हैं जिससे यात्रा में कपड़ो के कारण कोई तकलीफ न हो।

कांवड़ियों ज्यादातर गेरुए कपडे को साथ साथ गेरुए गमछे, कमर में अंगोछे लेकर नंगे पैर कांवड़ उठाकर “बोल बम, बोल बम” या “बम बम भोले” या ‘हर हर महादेव” के नारो के साथ ही “भजनों” के नशे में चूर ये लोग महादेव और अपने आराध्य को पूरी तरह समर्पित जाते हैं।

पैदल होती हैं कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra Paidal Hoti Hain)

कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra Paidal) पैदल ही करनी होती हैं। शुरूआत से लेकर महादेव पर जल चढाने तक यात्री पैदल ही होता है। लेकिन उसको बाद घर आने के लिए वह वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कांवड़ यात्रा का उद्देश्य और महत्व (Kanwar Yatra ka Mahtva)

कांवड़ यात्रा का उद्देश्य सिर्फ देवाधि देव महादेव से आशीर्वाद पाना ही नहीं बल्कि अपने आप को पाना भी हैं। जैसे महादेव सरल हैं किसी वास्तु का मोह नहीं हैं वैसे कांवड़ यात्री (Kavad Yatra ka Uddeshya) को यात्रा के शुरुआत से बहुत सारी चीज़ो का कुछ दिनों के लिए मोह त्याग कर पैदल बिना किसी चप्पल या जूतों के बिलकुल सरल तरीके से यात्रा करनी होती हैं।

दिनभर महादेव की भक्ति में लीन होकर चलने वाले इन कांवड़ियों की भावना भर से महादेव के प्रसन्न होने का योग बनता हैं। कई कांवड़ियें इस यात्रा को मोक्ष प्राप्त करने के उद्देश्य से करते हैं। देश के कई अलग अलग स्थानों से होकर चलने वाली यह यात्रा यात्री को खुद के साथ ही देश के बाकी लोगो से परिचित होने का मौका देती हैं।

कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam)

कावड़ यात्रा जब करने की सोचते हैं या कर रहे होते हैं ऐसे में आपको कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam) होते हैं जिसको फॉलो करना चाहिए जिससे आपका मनोरथ भी पूरा होता हैं व भगवान भोलेनाथ भी प्रसन्न हो जाते हैं।

  • सबसे पहले कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को अपने तन, मन और प्रभु के प्रति समर्पण की भावना रखनी चाहिए।
  • कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर जाने वाले व्यक्ति को अपने परिवार की स्थिति जरूर देखना चाहिए की उसके जाने से परिवार किसी तरह से परेशानी या खान पान की नौबत ना आये।
  • (No Non-Veg during Kanwar Yatra) कांवड़ यात्रा को शराब या मांसाहार का सेवन बंद कर देना चाहिए।
  • कांवड़ में भरा जाने वाला जल गंगा नदी या अन्य किसी पवित्र नदी से होना चाहिए। घर या कुंए से भरा हुआ जल नहीं होना चाहिए।
  • (No Vehicle in Kanwar Yatra) कांवड़ यात्रा के दौरान के दौरान वाहन का प्रयोग नहीं होना चाहिए साथ ही कोशिश करे जल लेने जाए तो बिना चप्पल के ही चले।
  • (Kanwar shouldn’t be Kept Down during Kanwar Yatra)कांवड़ में लाया गया जल देवादि देव महादेव के अभिषेक के लिए होता हैं, इसलिए कांवड़ को कही भी जमीन पर ना रखे जब भी आराम करना हो कही ऐसे जगह रखे जहा कावड़ किसी भी तरह के आधार पर न रखा गया हो।
  • यात्री को यात्रा के दौरान देवाधि महादेव के नाम या द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम लेकर चलना चाहिए।

नीचे दिए वीडियो में आप देख सकते है की कथा वाचक पं. श्री प्रदीपजी मिश्रा कांवड़ यात्रा के बारे में बता रहे हैं।

सबसे पहली कांवड़ यात्रा किसने की (Kanwar Yatra Kisne Shuru Ki)

कांवड़ यात्रा किसने सबसे पहले की इसके बारे में कई अलग अलग जानकारी मिली हैं और सबकी कहानी अलग अलग हैं। इसलिए हम आपके लिए हम आपको सभी की जानकारी दे रहे हैं।

भगवान परशुराम थे पहले कांवड़ यात्री (Bhagwan Parshuram Ne shuru Kavad Yatra) :

श्री हरि विष्णु के दस अवतारों में से छटवें अवतार भगवान परशुराम ने “पूरा महादेव” में गंगा जल चढ़ा कर पूरी की थी। “पूरा महादेव” आज भी उत्तर प्रदेश के बागपत शहर के पास कुछ दुरी पर स्थित हैं।

भगवान परशुराम ने यहाँ पर शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल कांवड़ में लाकर भगवान शिव का अभिषेक किया था। इसलिए आज भी यहाँ परंपरा मानते हुए लोग गढ़मुक्तेश्वर से ही गंगाजल कांवड़ (Kavad Yatra from Garhmukteshwar) में लेकर आते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।

श्रवण कुमार थे पहले कांवड़ यात्री (Shravan Kumar Ne Shuru Ki Kanwar Yatra) :

कुछ विद्वान मानते हैं की मातृ – पितृ भक्त श्रवण कुमारजी पहले कांवड़ यात्री थे। अपने माता – पिता को यात्रा कराते हुए जब वे हिमाचल के ऊना पहुंचे तब उन्हें माता – पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान की इच्छा प्रकट की।

तब श्रवण कुमारजी अपने माता – पिता को कांवड़ की तरह लकड़ी के सहारे टोकरी में बैठाया और हरिद्वार लाये। गंगा स्नान करके वे यहाँ से गंगा जल कांवड़ में भरकर ले गए, उसे ही सबसे पहली कांवड़ यात्रा (First kanwar Yatra) कुछ विद्वान मानते हैं।

भगवान श्री राम थे पहले कांवड़ियें (Bhagwan Ram Ne Shuru Ki Kawad Yatra) :

आनंद रामायण के अनुसार भगवान प्रभु श्री राम ने अपने आराध्य की कृपा पाने के लिए आज के बिहार के सुल्तानपुर से गंगाजल कांवड़ में भरकर देवघर स्थित बैजनाथ में बाबा पर जल चढ़ाया इसलिए कुछ लोग इस कथा को आधार मानकर राम से कांवड़ यात्रा (Shri Ram Started Kanwar Yatra) की शुरुआत मानते हैं।

रावण ने शुरू की पहली कांवड़ यात्रा (Ravan Ne Shuru Ki Kanwar Yatra) :

कुछ लोग यह भी मानते हैं की शिवभक्त रावण ने पहली कांवड़ यात्रा की हैं किसके पीछे लोग कथा बताते हैं की समुद्र मंथन के समय हलाहल विष को ग्रहण करने के बाद जब भगवान शिव को नकारात्मक शक्ति ने जकड लिया तब रावण ने उन नकारात्मक शक्ति को हटाने के लिए जप किया और “पूरा महादेव” में गंगा जल से भगवान नीलकंठ का अभिषेक किया और भगवान को नकारात्मक ऊर्जा से राहत मिली।

देवताओं ने सबसे पहले किया था जलाभिषेक (Devtao Ne Shuru Ki Kanwar Yatra) :

कुछ लोगो का मत हैं की कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) देवताओं ने शुरू की थी इसके पीछे उनका तर्क हैं की जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल शिव ने ग्रहण किया तब उनका कंठ नीला पड गया और तभी से वे नीलकंठ कहलाये। कित्नु जब शिव पर विष का प्रभाव पड़ने लगा तो उसका ताप बढ़ने लगा शिव तो स्वयं सृष्टि हैं, उनका ताप बढ़ने से सृष्टि का तापमान बढ़ने लगा तब श्री हरी की इच्छा से देवताओं ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया और इसे पहली कांवड़ यात्रा माना गया।

सावन माह भगवान महादेव की पूजा अर्चना करने के लिए बहुत विशेष माना गया हैं। कहते हैं सावन माह में ही भोलेनाथ और माता पार्वती धरती पर आ कर अपने भक्तों को अपना आशीष देते हैं। ये भी कहा जाता हैं यदि कोई मनोकामना हो या इच्छा हो तो सावन में भगवान शंकर और माता पार्वती से मांग लेना चाहिए वे जरूर पूरी होती हैं।

सावन में भोलेनाथ को जल चढ़ाने का भी विशेष तरीका बताया गया है बाकि दिनों में भोलेनाथ को एक लोटे से जल चलाया जाता हैं परन्तु सावन में दो लोटे से एक धार लगा कर चढ़ाना चाहिए। जिससे विशेष फल मिलता हैं। वैसे तो सावन में एक बेलपत्री चढ़ाने से भी भोलेबाबा प्रसन्न हो जाते हैं। वे तो भोलेभंडारी हैं।

दोस्तों हमने इस आर्टिकल में कांवड़ यात्रा से जुडी लगभग हर जानकारी साजा करने की कोशिश की है। फिर भी अगर किसी जानकारी में कमी हो या गलत हो तो आप हमें कमेंट में जरूर बता सकते हैं।

यदि आप कावड़ यात्रा पर जाने का सोच रहे हैं तो आपके मन में भी कई सवाल आ रहे होंगे इसीलिए हम इस आर्टिकल में उसके जवाब ले कर आये हैं पढ़े जरूर उम्मीद करते हैं आपकी यात्रा को सफल और आरामदायक बनेगे।

kawad Yatra 2024 Date : कांवड़ यात्रा कब से शुरू होती है?

कांवड़ यात्रा हर साल सावन माह में शुरू होती है। कांवड़ यात्रा 2024 22 जुलाई 2024 से शुरू हो गयी हैं।

क्या कांवड़ यात्रा में महिलाएं भी भाग ले सकती हैं? (Can women also participate in the Kanwar Yatra?)

कांवड़ यात्रा में प्राचीन काल से पुरुष ही शामिल होते आये हैं। परन्तु, पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिलाएं भी इस यात्रा में भाग ले रही हैं। ऐसा किसी ग्रन्थ या पुराण में नहीं लिखा हैं की केवल पुरुष ही कर सकते हैं।

कांवड़ यात्रा के दौरान जप या मंत्र का जाप करना चाहिए? (What chanting we should do during the Kanwar Yatra?)

कांवड़ यात्रा के दौरान भोलेनाथ का पंचाक्षर या षडाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय , नमः शिवाय या बम बम भोले या शिवपुराण मंत्र श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करना चाहिए

क्या कांवड़ यात्रा के रास्ते में रुकने के लिए कोई विशेष स्थान हैं? (Are there specific places to rest along the way?)

जी हां, रास्ते में कई धर्मशालाएं और विश्राम गृह होते हैं जहां आप आराम कर सकते हैं और भोजन भी प्राप्त कर सकते हैं। स्थानीय लोगों द्वारा निःस्वार्थ भाव से कावड़ यात्रियों की सेवा के लिए यह व्यवस्था की जाती हैं।

क्या कावड़ का जल जलाभिषेक के बाद घर ले जाया जा सकता है?

जी हां, आप जलाभिषेक के बाद जल घर ले जा सकते हैं। और ले भी जाना चाहिए कियुकी यह घर से नेगेटिविटी को दूर रखता हैं। इसे लाल कपडे में बांध कर घर के मंदिर या तिजोरी में रखे। घर में कोई बड़ी पूजा या अनुष्ठान होने पर घर को पवित्र करने में इसका उपयोग कर सकते हैं

क्या कावड़ यात्रा के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग करना ठीक है?

जी हाँ , कर सकते हैं चुकी कावड़ यात्रा आध्यात्मिक यात्रा हैं इसमें मोबाइल का उपयोग कम से कम करना चाहिए पूरी यात्रा में भगवान का नाम जाप करना चाहिए।

क्या मैं अपने वाहन से कांवड़ यात्रा कर सकता/सकती हूँ? (Can I do the Kanwar Yatra on my own vehicle?)

जी नहीं कावड़ यात्रा पैदल करने का महत्त्व होता हैं परन्तु यदि आप फिसिकल फिट नहीं हैं और भोलेनाथ के प्रति आस्था और कावड़ यात्रा करने का मन है ऐसे में आप गाड़ी से कर सकते हैं।

क्या रास्ते में खाने-पीने की व्यवस्था होती है? (Are there food and drink arrangements along the way?)

हाँ कावड़ यात्रा के दौरान रास्ते में खाने पिने की व्यवस्था होती हैं। वहाँ के स्थानीय व्यक्ति या महादेव भक्त व्यवस्था कर के रखते हैं ताकि कावड़ यात्रियों को कोई परेशानी ना हो।

क्या कावड़ यात्रा पर जाने से पूर्व तैयारी आवश्यक है? (Is any prior preparation needed for the journey?)

जी हाँ , कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर जाने से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण तैयारी कर लेना चाहिए जैसे
1. आवश्यक वस्तुएँ : आरामदायक कपडे, बारिश का समय हैं इसीलिए छतरी या रैनकोर्ट, लकड़ी, केप, चप्पल जूते और भी आपके लिए जरुरी हो।
2. व्यायाम : कावड़ यात्रा में चुकी पैदल चलना होता था इसीलिए यात्रा पर जाने के कुछ दिनों पहले से व्यायाम व वॉक स्टार्ट कर देना चाहिए।
3. मेडिकल टेस्ट : आवश्यक मेडिकल टेस्ट करवा लेना चाहिए जिससे यात्रा में कोई परेशानी ना हो , साथ भी अपनी आवश्यक दवाइया रखना ना भूले।

क्या जूते पहनना चाहिए? (Is wearing shoes during Kawad yatra?)

Kanwar Yatra : कावड़ यात्रा के दौरान जूते चप्पल पहनना या ना पहनना आपकी आस्था व इच्छा पर निर्भर करता हैं। कुछ लोग बिना जुटे चप्पल के करते हैं और कुछ पहन कर। वैसे प्राचीन काल में तो बिना चप्पल जूते के नंगे पैर की जाती थी।

धर्मकहानी :- धर्म कहानी पर हम धर्म से जुडी जानकारी आपके साथ साझा करते हैं। यह सत्य कोई नहीं नकार सकता की इस कलयुग में भक्ति ही एक ऐसा मार्ग है जो हमें मुक्ति दिला सकता हैं इसीलिए हम सनातन धर्म की रक्षा के लिए आपके साथ भगवान की लीलाये , चालीसा , आरती तथा कहानियाँ साझा करते हैं। यदि आप भी धर्म से जुडी कोई जानकारी जानना चाहते हैं कमेंट में जरूर बताये।

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