Datta Jayanti 2025 श्री हरि विष्णु के अवतार दत्तात्रेय जयंती कब तथा क्यों मनाई जाती हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन Dattatreya Jayanti 4 दिसम्बर 2025 को हैं। वैसे तो विष्णु, महेश, ब्रह्मा त्रिदेव का अवतार मान कर दत्तात्रेय भगवान की पूजन की जाती हैं भगवान विष्णु के भक्त दत्त भगवान को विष्णु रूप मान कर पूजा अर्चना करते हैं। भगवान शिव के उपासक शिव का अवतार मान पूजन करते हैं तथा ब्रह्मा भक्त ब्रह्मा स्वरुप मान पूजा अर्चना करते हैं।
रसेश्वर संप्रदाय का प्रवर्तक दत्तात्रेय भगवान को ही माना जाता हैं। दत्तात्रेय भगवन ने तंत्र तथा यंत्र मार्ग का विलय कर एक ही संप्रदाय की स्थापना की थी। वैसे तो दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव तीनों का सम्मलित स्वरूप माना जाता है।
Datta Jayanti 2025 : दत्तात्रेय जयंती
दत्तात्रेय जयंती (Datta Jayanti) मार्गशीष महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती हैं। कहा जाता हैं मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा पर प्रदोष काल में भगवान दत्तात्रेय जा जन्म हुआ था। दत्तात्रेय में गुरु और ईश्वर दोनों ही रूप में समलित हैं। इसीलिए उन्हें परब्रह्ममूर्ति सन्दुरु तथा श्री गुरुदेवदत्त कहा जाता हैं। दत्तात्रेय भगवान को गुरु वंश का प्रथम गुरु, साथक तथा वैज्ञानिक माना गया हैं।
हिन्दू धर्म या कहें सनातन धर्म के अनुसार पारद के व्योमयान उडडयन शक्ति का पता लगाया तथा चिकित्सा के क्षेत्र में क्रन्तिकारी अन्वेषण किया था। दत्तात्रेय जयंती (Datta Jayanti) पर मुख्य रूप से दशनाम सन्यासियों के अखाड़ों में मनाया जाता हैं वह दत्त भगवान की पूजन अर्चना तथा प्रवचन भी रखे जाते हैं। कहा जाता हैं इस दिन दत्तात्रेय भगवान की आराधना व पूजन का विशेष फल मिलता हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
Datta Jayanti 2025 Date : दत्तात्रेय जयंती कब हैं ?
दत्तजयंती (Datta Jayanti) मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा पर मनायी जाती हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 4 December 2025 को सुबह 8 बजकर 37 मिनट।
मारशीर्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त – 5 December 2025 को सुबह 4 बजकर 43 मिनट।
Datta Jayanti Special Article
Datta Jayanti Special : दत्तात्रेय भगवान का अवतार कैसे हुआ ?
आइये जानते हैं भगवान दत्त के रूप में त्रिदेव ने मुनि अत्रि व अनुसूया के पुत्र के रूप में जन्म कैसे लिया ? शास्त्रों के अनुसार महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूया के पतिव्रत धर्म की चर्चा तीनों लोक में होने लगी। जब नारदजी ने अनुसूया के पतिधर्म की सराहना तीनों देवियों से की तो माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती ने अनुसूया की परीक्षा लेने की ठान ली। सती अनसूया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने के लिए त्रिदेवियों के आग्रह पर तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव पृथ्वी लोक पहुंचे। अत्रि मुनि की अनुपस्थिति में तीनों देव साधु के भेष में अनुसूया के आश्रम में पहुंचे और माता अनसूया से भोजन करने की इच्छा प्रकट की।
देवी अनुसूया ने अतिथि सत्कार को अपना धर्म मानते हुए उनकी बात मान ली और उनके लिए प्रेम भाव से भोजन की थाली परोस लाई। परन्तु तीनों देवताओं ने माता के सामने यह शर्त रखी कि वह उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराए। इस पर माता को संशय हुआ।इस संकट से निकलने के लिए उन्होंने ध्यान लगाकर जब अपने पति अत्रि मुनि का स्मरण किया तो सामने खड़े साधुओं के रूप में उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश खड़े दिखाई दिए। माता अनसूया ने अत्रिमुनि के कमंडल से जल निकलकर तीनों साधुओं पर छिड़का तो वे छह माह के शिशु बन गए। तब माता ने शर्त के मुताबिक उन्हें भोजन कराया।
वहीं बहुत दिन तक पति के वियोग में तीनों देवियां व्याकुल हो गईं। तब नारद मुनि ने उन्हें पृथ्वी लोक का वृत्तांत सुनाया। तीनों देवियां पृथ्वी लोक पहुंचीं और माता अनसूया से क्षमा याचना की। तीनों देवों ने भी अपनी गलती को स्वीकार कर माता की कोख से जन्म लेने का आग्रह किया। इसके बाद तीनों देवों ने दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया। तीनों देवों को एकसाथ बालरूप में दत्तात्रेय के अंश में पाने के बाद माता अनुसूया ने अपने पति अत्रि ऋषि के चरणों का जल तीनों देवो पर छिड़का और उन्हें पूर्ववत रुप प्रदान कर दिया। दत्तात्रेय का जन्म का दिन दत्तात्रेय जयंती (Datta Jayanti) के रूप में मनाया जाता हैं।
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Dattatreya Stotram : दत्तात्रेय जयंती पर जरूर करें दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ
दत्तात्रेय जयंती जयंती के दिन प्रातः काल या कहे शाम को दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करने से आपके पितृ दोष दूर होते हैं जीवन में आई सभी समस्याएँ समाप्त होती हैं।
Datta Jayanti Special Dattatreya Stotram
।। श्री दत्तात्रेय स्तोत्र ।।
जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम् ॥
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उम्मीद करते हैं दत्त जयंती स्पेशल (Datta Jayanti) पर भगवान विष्णु के इस अवतार की कहानी पढ़ अच्छा अनुभव हुआ होगा।
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