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Ganeshji ki Sund : गणेशजी की सूंड का महत्व, सूंड की दिशा का अर्थ, बाईं या दाईं सूंड वाले गणेश जी, वास्तु अनुसार मूर्ति स्थापना, मुहूर्त व पूजा विधि के सही नियम जानें।

प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेशजी का त्यौहार आने वाला हैं। इस त्यौहार का भक्त सालभर इंतज़ार करते हैं। श्रद्धालु श्री गणेश जी को अपने घर से लेकर बड़े – बड़े पंडालों में विराजित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विराजमान करने से पहले मूर्तियों की परख करना और उस मूर्ति के महत्व, गणेशजी की मूर्ति कैसे रखें का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी हैं। आज हम आपको गणेश जी मूर्ति की स्थापना करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें तथा वास्तु में गणेशजी की सूंड (Ganeshji ki sund)बताएँगे।

गणेशजी की सूंड का महत्व ( Importance of Ganeshji ki sund )न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वास्तु शास्त्र में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अधिकांश मनुष्य यह नहीं जानते कि गणपति सूंड का रहस्य या कहे महत्त्व गणेश जी की सूंड स्वरूप और ऊर्जा के प्रतीक से जुड़ी होती है। जब भी हम घर या ऑफिस में गणेशजी की मूर्ति कैसे रखें यह सोचते हैं, तो वास्तु में गणेशजी की सूंड की दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सूंड की दिशा का अर्थ यही बताता है कि वह सकारात्मक ऊर्जा को किस तरह आकर्षित करेगी। गणेश जी पूजा विधि में मूर्ति की सूंड, मुद्रा और आसन का विशेष महत्व होता है। यदि आप शुभ सूंड गणपति को सही दिशा में स्थापित की जाती हैं तो जीवन में सुख-समृद्धि और ज्ञान का वास होता है। इसलिए गणपति स्थापना टिप्स के अनुसार मूर्ति का चयन और स्थापना पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए।

Ganesh Chaturthi 2025 Mahurat : गणेश चतुर्थी का शुभ महूर्त

पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में सूर्योदय के समय में होना जरुरी माना गया हैं। जिस दिन चतुर्थी सूर्योदय के समय होगी उसी दिन हमें चतुर्थी मनानी चाहिए। इस वर्ष हम भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन देखते हैं तो यह 27 अगस्त 2025 को आ रहा हैं इसीलिए देश भर मैं गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 बुधवार को मनाया जायगा।

गणेश चतुर्थी की तिथि की आरम्भ 26 अगस्त 2025 मंगलवार दोपहर 1 बजकर 54 मिनट्स से आरम्भ होकर अगले दिन यानी 27 अगस्त 2025 बुधवार को 3 बचकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इसमें भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तिथि 27 अगस्त पर सूर्योदय होगा इसलिए इस वर्ष 27 अगस्त 2025 मंगलवार को ही गणेश चतुर्थी का व्रत, पूजा और स्थापना कर सकते हैं।

Ganeshji Aarti 2025

Ganesh Chaturthi 2025 Pooja ka Shubh Samay : गणेश चतुर्थी 2025 पूजा का शुभ समय

इस साल गणेश चतुर्थी में गणेशजी की पूजा और स्थापना का समय सुबह 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक है। यानी आपके पास स्थापना और पूजा के लिए ढाई घंटे का समय ही रहेगा।

Ganesh Chaturthi Abhijeet Mahurat अभिजीत मुहूर्त में करें गणपति स्थापना

अभिजीत महूर्त बहुत ही शुभ माना जाता है और यह घट और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ माना जाता हैं इसलिए अगर आप बाप्पा की मूर्ति की स्थापना करना चाहते हैं तो आप 11:54 से लेकर 12:44 तक कर सकते हैं।

Ravi aur Brahma Yoga mein hogi Ganesh Chaturthi pooja : रवि और ब्रह्म योग में होगी गणेश चतुर्थी पूजा

इस साल गणेश चतुर्थी पूजन रवि और ब्रह्मा योग में होगी। इस दिन रवि योग सुबह 6:02 से लेकर 12:34 तक रहेगा और ब्रह्मा योग सुबह से लेकर रात 11:17 तक रहेगा।

Ganeshji ki sund Type

Ganeshji ki Sund ke Prakar : गणेशजी की सूंड के प्रकार

ज्ञान, बुद्धि और शुभता के देव भगवान श्री गणेश सभी देवताओं में सर्व प्रथम पूजनीय हैं। गणेश के अधीन ही सारे गण हैं इसलिए इन्हे गणपति या गणाधिपति भी कहा जाता हैं। भगवान श्री गणेश के अधीन ही मनुष्य और देवताओं के जीवन में शुभ और लाभ का आशीर्वाद हैं। श्री गणेश ही विघ्नहर्ता भी हैं और शुभकर्ता भी हैं।

श्री गणेश की प्रतिमा घर लाने से पहले लोगो के मन में ये यह एक सवाल जरूर उठता है कि भगवान श्री गणेशजी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए? (Ganeshji Ki Sund Kis taraf ho?) गणेशजी की सूंड बाई तरफ क्यों होती है? (Ganeshji Ki Sund baayi taraf kyun hoti hain?) गणेशजी की सूंड दाई तरफ क्यों होती है? (Ganeshji Ki Sund daayi taraf kyun hoti hain?) गणेशजी की सूंड सीधी क्यों है? (Ganeshji Ki Sund sidhi kyun hoti hain?)।

भगवान श्री गणेश की मुड़ी हुई सूंड के कारण ही इन्हे श्री वक्रतुण्ड नाम भी मिला है। भगवान श्री गणेश के वक्रतुंड स्वरूप भी दो प्रकार के होते हैं। आप देखेंगे की मूर्तियों और फोटो में गणेशजी की सूंड बाईं ओर होती है तो कुछ में दाईं ओर। गणेशजी जी दाईं की दायी सूंड में सूर्य का प्रभाव और गणेशजी की बाईं सूंड में चंद्रमा का प्रभाव माना गया है। और भगवान श्री गणेशजी की सीधी सूंड तीनों तरफ से दिखती है।

Daayi Taraf Ganeshji Ki Sund : दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी 

हमारे शास्त्रों और ज्ञानियों के अनुसार जिस गणेश जी की मूर्ति की सूंड दाईं (dai sund wale ganesh ji) ओर घूमी हुई होती हैं, वे थोड़े हठी स्वाभाव वाले होते है। अधिकतर लोग ऐसी मुर्तियाँ ऑफिस और घर में नहीं रखते या बहुत कम लोग ही इस प्रकार की मुर्ति घरो में स्थापित करते है। इस तरह की मुर्तियाँ स्थापित करने पर कई वाले लोगो को कई धार्मिक रीतियों का कड़ा पालन करना ज़रूरी हो जाता है।

आमतौर पर इस तरह की प्रतिमा को मंदिरो में स्थापित करके वहीं उनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे गणेशजी का पूजन करने से  विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्य करने के लिए अति – फलदायी होते है। सिद्धिविनायक कहलाने वाले गणेशजी की सूंड दायीं ओर घूमी हुई होती हैं। विद्वानों का कहना है इनके दर्शनमात्र से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। अगर व्यक्ति किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं बाहर  जाते समय यदि इनके दर्शन कर लेता है तो वह कार्य अवश्य ही सफल होता है और उस कार्य का शुभ फल प्राप्त होता है।

बाईं सूंड वाले गणेश जी ( Ganeshji ki Sund) को शीतल, सौम्य और गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना जाता है, वहीं दाईं सूंड वाले गणेश जी तांत्रिक पूजा और विशेष सिद्धियों में पूज्य माने जाते हैं।

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Ganesh Chaturthi Chandra Darshon : गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन क्यों वर्जित है?


चतुर्थी की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है वो संकट चतुर्थी हो या करवा चौथ इस दिन चंद्रमा को देख कर ही व्रत का समापन किया जाता हैं परन्तु यदि बात करे गणेश चतुर्थी के दिन की तो इस दिन चंद्र यानी चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित माना गया है। यदि इस दिन यदि कोई मनुष्य चंद्र देव के दर्शन करता हैं तो उन्हें मिथ्या दोष या कहे आरोप का सामना करना पड़ सकता है। मिथ्या दोष के प्रभाव से व्यक्ति को चोरी का झूठा आरोप भी सहना पड़ता है।

आप आपके घर गणेश जी की किस तरफ सूंड (Ganeshji ki Sund) वाले लाते हैं ?

गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन वर्जित समय / गणेश चतुर्थी के दिन कब से कब तक चन्द्रमा को नहीं देखने का मुहूर्त

चुकी हमने ऊपर बताया चतुर्थी तिथि दो दिनों तक चलने वाली हैं इसीलिए 26 अगस्त 2025 को वर्जित चंद्र दर्शन का समय दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 29 मिनट तक है। जबकि 27 अगस्त 2025 को सुबह 09 बजकर 28 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 57 मिनट तक वर्जित चंद्र दर्शन का समय है।

Ganesh Visarjan 2025 Date : गणेश विसर्जन 2025 में कब होगा?


गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद भाद्रपद माह की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी अनन्त चतुर्दशी को गणेश विसर्जन किया जाता हैं। इस बार 6 सितंबर 2025, वार शनिवार को गणेश विसर्जन यानी अनन्त चतुर्दशी मनाई जाएगी। गणेश जी की स्थापना कुछ लोग या कहे कुछ जगहों पर जैसे महाराष्ट्र में एक दिन 5 दिन या कहे 7 दिन की भी करते हैं। इसीलिए वे विसर्जन शुभ चोकरिया देख कर करते हैं।

Ganesh Chaturthi 2025 जानिए कैसी गणेश जी की मूर्ति घर लाना चाहिए | 27 August 2025 Ganesh Sthapna

Dharmkahani.com :- गणेशजी की सूंड (Ganeshji ki Sund) का महत्व, सूंड की दिशा का अर्थ, बाईं या दाईं सूंड वाले गणेश जी, वास्तु अनुसार मूर्ति स्थापना व पूजा विधि के सही नियम जानें से जुडी सभी जानकारी हमने इस आर्टिकल में अपने पाठको को देने का प्रयास किया हैं। यदि कोई जानकारी छूट हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताये हम आपके साथ साझा करने का प्रयास जरूर करेंगे।

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