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Incredible Jagannath Temple: क्या आज भी धड़कता है श्रीकृष्ण का दिल? हैरान कर देंगे भगवान जगन्नाथ के रहस्य…

Jagannath Temple  : दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं भगवान जगन्नाथ के रहस्यमई मंदिर की। हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को उड़ीसा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है।

इस रथयात्रा में पुण्य लेने के लिए दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पूरी पहुंचते हैं। इस बार यह यात्रा 7 जुलाई को शुरू होगी। हर साल की तरह इस साल भी रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ तीन भव्य रथ में सवार होकर निकलते हैं। पारम्परिक रीती के अनुसार ही इस बार भी उड़ीसा के राजा यानी की वहा के CM या शायद राज्यपाल सोने के झाड़ू से भगवान जगन्नाथ के रथ के आगे झाड़ू लगाएंगे।

हर 8 वर्ष बाद,11 वर्ष बाद या 19 वर्ष बाद सालों में बदली जाती है भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियां। 

(Jannath Temple Nabakalebara) मूर्ति बदलने की प्रथा को “नवकलेवर” कहा जाता है। नवकलेवर = नव+कलेवर, अर्थात जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन पुराना शरीर त्यागकर नया शरीर धारण करते हैं।

नवकलेवर हर 8 वर्ष बाद,11 वर्ष बाद या 19 वर्षों में होता है। नवकलेवर हमेशा आषाढ़ मास या अधिकमास में ही होता है। भगवान की मुर्तियां एक बहुत  विशेष प्रकार के नीम के पेड़ की लकड़ी से बनती है। इस नीम को ‘दारु ब्रह्म’ कहते हैं। वृक्ष को खोजने के साथ ही इस उत्सव का प्रारंभ होता है। पंडितों और पुरोहितों के अनुसार भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लिए चार शाखाओं, बलभद्रजी के लिए सात शाखाओं, सुभद्राजी के लिए पाँच तथा सुदर्शन के लिए तीन शाखाओं के वृक्ष की तलाश की जाती है। पिछली बार यह 2015 में लगभग 19 साल बाद हुआ था।

भगवान जगन्नाथ बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्ति को हर कुछ सालो में बदला जाता है। जब-जब इन मूर्तियों को बदला जाता है तब पूरे शहर की लाइट बंद कर दी जाती है। इस दौरान जगन्नाथ पुरी के मंदिर के आसपास पूरी तरीके से अंधेरा कर दिया जाता है। जब यह मूर्ति बदली जाती है तो मंदिर की पूरी तरह से सुरक्षा सीआरपीएफ के हवाले कर दिया जी है किसी भी प्रकार का प्रवेश इस दौरान वर्जित होता है अंधेरा होने के बाद भगवान जगन्नाथ के मंदिर में कोई नहीं जा सकता एवं इन मूर्तियों को बदलने के लिए सिर्फ एक पुजारी को मंदिर में जाने की अनुमति होती है और उससे पहले उस पुजारी के हाथों में दस्ताने पहनाए जाते हैं और अंधेरा होने के बावजूद उस पुजारी की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है ताकि वह पुजारी किसी भी तरीके से मुर्ति को ना देख सके।

(Jagannath Temple Bramha Padartha) क्या है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य ?

(Jagannath Temple Bramha Padartha) : दोस्तों भगवान जगन्नाथ बलभद्र और बहन सुभद्रा के मूर्ति तो जरूर बदली जाती है। लेकिन एक चीज उसमें वैसी की वैसी रहती है, वह है “ब्रह्मा पदार्थ” इस “ब्रह्म पदार्थ” को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में उस पुजारी द्वारा डाल दिया जाता है। तो आइए क्या है इस “ब्रह्मा पदार्थ” का रहस्य आपको बताते हैं कई जगह पर इसे लेकर मान्यता यह है कि अगर इसे किसी ने देख लिया तो वह तुरंत ही मर जाएगा।

इस “ब्रह्म पदार्थ” को लोग भगवान श्रीकृष्ण से जोड़कर देखते हैं और कहते है की यह भगवान श्री कृष्ण का ह्रदय हैं। हालांकि यह शोध का विषय है। बहुत से पुजारी और कुछ अन्य आर्टिकल्स में शोध के द्वारा हमें पता चला है कि मूर्तियां बदलते समय जब वह ब्रह्म पदार्थ को पुराने मूर्ति से नई मूर्ति में डाला जाता है। उस दौरान वह पदार्थ हाथ में उछलता रहता है जैसे कोई  खरगोश हाथ में उछल रहा हो और ऐसा लगता है कि इस चीज में जान है क्योंकि हाथों में दस्ताने पहने होते हैं इसलिए उस पदार्थ को ज्यादा महसूस नहीं किया जाता। यानी “ब्रह्म पदार्थ” किसी जीवित पदार्थ होने की बहुत सी कहानियां जरूर है लेकिन इसकी हकीकत क्या है अभी तक इसे कोई नहीं जान पाया।

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(Jagannath Temple Simhadwara) सिंहद्वार में क्या रहस्य है ?

(Jagannath Temple Simhadwara) : इस मंदिर से जुड़े रास्ते में एक रहस्य है कि यहां पर एक सी सिंहद्वार है। लोगों का कहना है कि जब इसी सिंहद्वार से बाहर होते हैं, तो मनुष्य को समुंदर की लहरों की आवाज बहुत ही तेजी से आती है। लेकिन जैसे ही वह व्यक्ति से यहां द्वार के अंदर प्रवेश करता है तो लहरों की आवाज आना बंद हो जाती है जगन्नाथ मंदिर के पास ही कई चिता जलती रहती है माना जाता है कि यहां द्वार के अंदर प्रवेश करने से पहले सभी को चिताओं की गंध आती है लेकिन द्वार के अंदर प्रवेश करते ही यह गंद आना बंद हो जाती है। (चूँकि चिताओं के गंध वाली बात कितनी सत्य है यह हम नहीं कह सकते, इसके लिए आपको वही जाना पड़ेगा)

मंदिर के ऊपर से नहीं जुड़ पाते पक्षी…

जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह भी कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति ने कभी भी इस मंदिर पर किसी पक्षी को बैठे हुए नहीं देखा और इस मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज को भी उड़ाना मना है।

मंदिर की परछाई नहीं बनती…

इस मंदिर से जुड़े लोगो का कहना है कि किसी भी समय दिन में चाहे कितने भी धूप हो इस मंदिर पर छाई कभी भी नहीं बनती।

(Jagannath Temple Kitchen) भगवान जगन्नाथ का रसोईघर। 

(Jagannath Temple Kitchen) : रसोई से जुड़े रहस्य भगवान जगन्नाथ मंदिर का रसोई खाना दुनिया के सबसे बड़े रसोईघर में से एक है यहां लगभग ₹500 और उनके साथ ही उनके 300 सहयोगी काम करते रहते हैं कहां जाता है कि इस मंदिर में चाहे कितने भी भक्त आ जाए लेकिन कभी भी प्रसादी कम नहीं पड़ती लेकिन जैसे ही मंदिर के बंद होने का समय आता है तो यह प्रसाद अपने आप खत्म होने लग जाता है यहां पर बनने वाला प्रसाद सात बर्तनों में बनता है जिसमें एक ही लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस रसोईघर की एक खासियत यह भी है कि लकड़ी के चूल्हे पर सबसे पहले सबसे ऊपर वाला बर्तन में रखा हुआ खाना ही पकता सकता है ना कि सबसे नीचे वाला।

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(Jagannath Temple Flag) मंदिर का ध्वज…

(Jagannath Temple Flag) : झंडे का रहस्य इस मंदिर पर लगा हुआ भगवान जगन्नाथ पुरी के मंदिर पर लगा हुआ झंडा जिसे रोज शाम के समय बदलना जरूरी होता है कई लोग इससे पीछे की मान्यता बताते हैं कि अगर एक भी दिन इस मंदिर के झंडे को नहीं बदला गया तो यह मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। एक और बात ध्वज से जुडी है की यहाँ हमेशा हवा ले विपरीत दिशा में ही लहराता है।

Dharmkahani.com:- धर्मकहानी पर आपको भगवान जगनाथ के इन रहस्यों को जान कर अच्छा लगा होगा। यदि आप भी सनातन धर्म या किसी भी भगवान से जुडी जानकारी जानने के लिए कमेंट में जरूर बताएँ।

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धन्यवाद्

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