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Powerful Ganesh Chalisa & Benefits : पढ़ें श्री गणेश चालीसा और होने वाले लाभ

Ganesh Chalisa Lyrics : आपको हम श्री गणेश चालीसा के साथ होने वाले लाभ और गणेश चालीसा के दौरान रखने वाली सावधानियाँ भी बताएँगे। जिससे आपको Ganesh Chalisa, Ganesh Stuti, Ganesh Chaurthi path, Ganapati Aarti, Benefits of Gajanand Aarti का पाठ करने में आसानी होगी।

गणेश महोत्सव या कहे गणेश चतुर्थी 7 सितम्बर 2024 को हैं। इस दिन सभी भगवान श्री गणेश की स्थापना करने वाले हैं। गणेश चतुर्थी से आनंद चौदस तक श्री गणेश की सेवा हर घर में की जाती हैं उनकी आरती , पूजा ,भोग लगाया जाता हैं। ऐसे में यदि गणेश चालीसा का पाठ(Ganesh Chalisa ka Path) किया जाये तो श्री गणेश की विशेष कृपा बरसेंगी। 

श्री गणेश चालीसा से होने वाले लाभ : Benefits of Shri Ganesh Chalisa :

सबसे पहले भगवान गणेश पूजनीय हैं जब श्री गणेश की पूजा, अर्चना की जाती हैं तब देवो के देव महादेव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता हैं। श्री गणेश की पूजा अर्चना गणेश चालीसा( Ganesh Chalisa) के बिना अधूरी है। श्री गणेश चालीसा का पाठ करने के लाभ ( Ganesh Chalisa Benefits) निचे दिए गए हैं। इसका पाठ आपको जीवन मरण के सभी बंधनों से पार लगा देने वाला हैं।

  1. घर में सुख शांति 
  2. शत्रुओ का विनाश
  3. विवाह-शादी की समस्या का निवारण
  4. बुध दोष निवारण 
  5. विद्या के क्षेत्र में सफलता
  6. स्वस्थ जीवन उच्च विचार 
  7. धन की प्राप्ति

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श्री गणेश चालीसा करने के दौरान रखने वाली सावधानियाँ : Precautions to be taken while reciting Shri Ganesh Chalisa:

  1. श्री गणेश चालीसा पढ़ने से पहले स्नान करके स्वच्छ कपडे अवश्य पहने। 
  2. श्री गणेश चालीसा पढने के दौरान मन में कोई शंका न रखे। 
  3. श्री गणेश जाप और चालीसा के समय भगवान को मोदक या बूंदी ले लड्डू अवश्य चढ़ाये। 
  4. श्री गणेश चालीसा के दौरान भगवान गणेश को तुलसी न चढ़ाये। 
  5. श्री गणेश चालीसा पाठ में समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की और रखें। 
  6. श्री गणेश चालीसा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान अवश्य करे। 

गणेश चालीसा Shri Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभः काजू॥

जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।

नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ॥

हमने आपको गणेश चालीसा के लाभ और रखने वाली सावधानियाँ दोनो बतायी है। आपको अगर हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया शेयर अवश्य करे। 

Disclaimer: यह जानकारी इंटरनेट सोर्सेज के माध्यम से लिए गए है। अगर इसमें आपको कोई गलती लगाती है तो कृपया आप हमें हमारे ऑफिसियल ईमेल पर जरूर बताये।

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बहुत- बहुत धन्यवाद

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