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12 Jyotirlinga Stuti : सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का महत्व (12 Jyotirling ka Mahatv) हम इसी बात से समझ सकते है की मनुष्य का आध्यात्मिक जीवन तब तक पूरा नहीं होता जब तक वह इन 12 जीतिर्लिंग के दर्शन न कर ले। इसीलिए ऐसा कहा जाता है की इन ज्योतिर्लिंग की जगह पर भगवान शिव ने साक्षात् उपस्थित होकर भक्तों की मनोकामना, भक्तो की रक्षा और भक्तों के संकट हरे है, और भक्तों की इच्छा से वही अपना एक ज्योतिर्लिंग उत्पन्न किया। ज्योतिर्लिंग का शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी मतलब है “रोशनी का प्रतिक”।
ज्योतिर्लिंग के स्मरण मात्र से समस्त जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है, ऐसा हमारे ग्रंथो में वर्णित है। इसलिए हम आपको ज्योतिर्लिंग नाम का एक श्लोक बता रहे है। जिसे छोटा “द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति (12 Jyotirling Stuti) ” कहा जाता है। इस “द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति” के माध्यम से आप भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों को स्मरण कर सकते है।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्
12 Jyotirlinga Stuti (Short 4 shlok Stuti): द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र (4 श्लोकों का स्तोत्र)
यह ज्योतिर्लिंग स्तोत्र संक्षिप्त 4 श्लोकों का ही स्तोत्र है, जिसमें भगवान देवादि देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम आते है, और बताया गया है की उन नामों का स्मरण करने से क्या लाभ मिलता है,
यह दिया गया है।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
हिंदी भावार्थ : – सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्री सोमनाथ, श्रीशैल पर श्री मल्लिकार्जुन,
उज्जयिनी में श्री महाकाल, ओंकारेश्वर में अमलेश्वर (अमरेश्वर)
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
हिंदी भावार्थ : – परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर,
सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
हिंदी भावार्थ : – वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर,
हिमालय पर श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्री घृष्णेश्वर को स्मरण करें।
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
हिंदी भावार्थ : – जो मनुष्य प्रतिदिन, प्रातःकाल और संध्या समय, इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है,
उसके सात जन्मों के पाप, इन लिंगों के स्मरण-मात्र से मिट जाते है।
Uplingas of 12 Jyotirlinga : 12 ज्योतिर्लिंग के उपलिंग कौनसे है ?
One of 12 Jyotirlinga Somnath’s Uplinga : श्री अन्तकेश्वर
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का जो उपलिंग है, उसका नाम अन्तकेश्वर है। इस उपलिंग का स्थान मही नदी और समुद्र के संगम पर कहा जाता है।
Second of 12 Jyotirlinga Mallikarjuna’s Upling : श्री रुद्रेश्वर
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए को उपलिंग रुद्रेश्वर के नाम से प्रसिद्धी मिली है। यह उपलिंग भृगुकक्ष में स्थित होना बताया गया है और अपने उपासकों और भक्तो को सुख देनेवाला है।
Third of 12 Jyotirlinga Mahakal’s Upling : श्री दुग्धेश्वर (दूधनाथ)
महाकाल ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए उपलिंग को दुग्धेश्वर या दूधनाथ के नाम से जाना है। यह उपलिंग माँ नर्मदा के तट पर स्थित होना बताया गया है और यहाँ उपलिंग समस्त पापों का नाश करने वाला कहा गया है।
Fourth of 12 Jyotirlinga Omareshwar’s Upling : श्री कर्दमेश्वर
ओंकारेश्वरजी ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए उपलिंग के दर्शन आप कर्दमेश्वर के नाम से प्रसिद्ध लिंग से कर सकते है। यह उपलिंग को बिन्दु सरोवर के तट पर होना बताया गया है और भक्त को सम्पूर्ण रूप से मनोवांछित फल प्रदान करता है।
Fifth of 12 Jyotirlinga Kedarnath’s Upling : श्री भूतेश्वर
केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए उपलिंग को भूतेश्वर के नाम से प्रसिद्धी मिली है और यह उपलिंग यमुनाजी तट पर स्थित है। पुराणों के अनुसार जो भक्त इस लिंग दर्शन और पूजन करते हैं, उनके जन्मो के पापों का वह निवारण करने वाला बताया गया है।
Sixth of 12 Jyotirlinga Bhimashankar’s Upling : श्री भीमेश्वर
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए उपलिंग को भीमेश्वर के नाम से प्रसिद्धी मिली है। यह उपलिंग भी सह्य पर्वत पर ही स्थित है।इस उपलिंग के आराधना करने से महान बल की वृद्धि होती है।
Seventh of 12 Jyotirlinga Nageshwara’s Upling : श्री भूतेश्वर
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से प्रकट हुए उपलिंग नाम भी भूतेश्वर ही है, परंतु यह उपलिंग मल्लिका सरस्वती के तट पर स्थित होना बताया जाता है और इस उपलिंग के दर्शन करने मात्र से सब पापों से मुक्ति मिलती है।
Eighthh of 12 Jyotirlinga Rameshwara’s Upling : श्री गुप्तेश्वर
रामेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को गुप्तेश्वर नाम से प्रसिद्धि मिली है। इनके दर्शन से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
Nineth of 12 Jyotirlinga Grishmeshwar’s Upling : श्री व्याघ्रेश्वर
रामेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को व्याघ्रेश्वर नाम से प्रसिद्धि मिली है। इनके दर्शन से समस्त पाप से मुक्ति होना बताया गया है।
दोस्तों, अभी हमें 9 ज्योतिर्लिंगों के उपलिंगो का ही वर्णन मिला है। हम कोशिश करेंगे और पुराणों में शोध कर आपको बाकी उपलिंगो का नाम और स्थान बाताने की।
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दोस्तों, आने वाले कुछ दिनों में हम देवाधिदेव महादेव के 12 ज्योतिलिंगो का इतिहास और उनकी कहानी बताएँगे कृपया आप इन ब्लॉग और कहानियो को रेगुलरली पढ़ते रहे और आप ऐसे ही हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार जानो पहुचाये। https://dharmkahani.com/ से अगर आपको कोई और जानकारी चाहिए तो आप हम कमेंट या contact पेज के जरिये संपर्क कर सकते है।
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