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Guru Purnima 2024 : क्यों मनाते है गुरु पूर्णिमा, जानिये इसकी कथा।

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Guru Purnima : गुरु पूर्णिमा त्यौहार हिंदु धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के लोगो द्वारा अपने शिक्षकों को सम्मान देने एवं उनको पूजने के लिए मनाया जाता है। हमारे सनातन धर्म में शिक्षकों को गुरु शब्दावली से भी जाना जाता है। महाभारत के रचयिता भगवान श्री वेद व्यास का जन्म इसी दिन हुआ था। उनके द्वारा हमें वेदों, पुराणों का ज्ञान मिला है इसलिए इस पूर्णिमा को हम गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते है।

वैसे तो सनातन धर्म जितना विराट है उतना ही ज्ञान और कथाऐ अपने अंदर समेटे बैठा है। हमारे धर्म में गुरु पूर्णिमा से जुडी कई छोटी छोटी बातें और कथाये सुनने में आती है। इनमें से एक है भगवान शिव और सप्त ऋषियों की।

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Guru Purnima Short Stories : आदियोगी शिव और सप्त ऋषियों की कथा।

कहते है की इस सृष्टि में सबसे पहले गुरु भगवान देवाधि देव महादेव है। एक बार भगवान शिव की ध्यान मुद्रा को देखते हुए सप्तऋषि भगवान आदियोगी शिव के पास गए और उनसे प्रार्थना कर बोले की आप इस योग का मार्ग हमें भी सिखाइये जिससे हम भी इस संसार को आपका योग मार्ग सीखा कर निरोगी और मोक्ष होने का मार्ग प्रशस्त कर सके।

तभी भगवान शिव ने उन्हें योग के चार मुख्य मार्ग बताये जो इस तरह है कर्मयोग, भक्ति योग, राजयोग और ज्ञान योग।

जिस दिन भगवान आदियोगी ने उन्हें योग की शिक्षा देना प्रारम्भ किया उस दिन पूर्णिमा की तिथि थी। तभी से अपने गुरु को सम्मान देने के लिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है।

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Guru Purnima Vedvyasa Story : भगवान वेदव्यासजी की कथा

भगवान वेदव्यासजी का जन्म इस दिन हुआ था। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार महर्षि वेदव्यास भगवान श्री हरि विष्णु के अंशावतार के रूप में धरती पर जन्म लेकर आए थे। ये ऋषि पराशर और माता सत्यवती के पुत्र थे। बाल्यकाल से ही अध्यात्म में रुचि होने के कारण उन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की और घने वनो में जाकर तपस्या शुरू करने की इच्छा प्रकट कर दी।

पुत्र प्रेम की वजह से माता ने इच्छा को मना कर दिया। महर्षि वेदव्यास ने अपनी माता से इसके लिए बहुत ज़िद की और अपनी बात को मनवा लिया। लेकिन उन्होंने वेदव्यास से आज्ञा देते हुए कहा की जब घर का ध्यान आए तो तुम अपने घर वापस हमारे पास लौट आना। 

अब वेदव्यास तपस्या करने वन चले गए और कठोर तपस्या की। इस तपस्या के पुण्य के बल पर संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल कर चारों वेदों का विस्तार किया। महाभारत (महाभारत कथा), अठारह महापुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना की। ऐसा कहा जाता है कि, महर्षि वेदव्यास किसी न किसी रूप में हमारे बीच  आज भी उपस्थित है। विष्णु अंशावतार और महापुराणों की का ज्ञान देने की वजह से हिंदू धर्म में वेदव्यास भगवान के रूप में पूजे जाते हैं। महर्षि वेद व्यास जी का नाम आज भी वेदों का ज्ञान लेने में सबसे पहले लिया जाता है।

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Guru Purnima in other Religion

भारत के दूसरे धर्मो में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है गुरु पूर्णिमा का जैसे बौद्ध धर्म के अनुयायी यह मानते है की इस दिन ही गौतम बुद्ध द्वारा सारनाथ में दिए गये पहले उपदेश के सम्मान में गुरु पूर्णिमा पर्व मानते हैं।

सिख धर्म के लोग केवल एक ईश्वर,और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही सत्य के रूप में मानते है। सिख धर्म में प्रचलित एक कहावत रूपी दोहा है:

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागु पाँव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए॥

जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार, इस दिन से दिन चौमासा यानी की चार महीने के बरसात के मौसम की शुरुआत होने और त्रीनोक गुहा पूर्णिमा के रूप में मानते हैं।

Guru Purnima Dohe : इन दोहे से समझे गुरु की महिमा

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

हिन्दी भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम ।

गुरु गूंगे गुरु बाबरे गुरु के रहिये दास,
गुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस!

माटी से मूरत गढ़े, सद्गुरु फूके प्राण ।
कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु, भव से देता त्राण ॥

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