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Ujjain 84 Mahadev Swargdwareshwar Mahadev(9) : जानिये श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव की कथा

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Ujjain 84 Mahadev shri swargdwareshwar mahadev

Ujjain 84 Mahadev Swargdwareshwar Mahadev (9) : दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के नौवें महादेव श्री स्वर्गद्वारेश्वर की कथा (Swargdwareshwar Mahadev katha ) बताएँगे की कैसे भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव (Swargdwareshwar Mahadev) पड़ा।

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Ujjain 84 Mahadev Swargdwareshwar Mahadev: श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव

स्वर्गद्वारेश्वर लिङ्ग नवमं सिद्धि पार्वती।

सर्व पाप हरं देवि स्वर्ग मोक्ष फल प्रदम।।

Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Swargdwareshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव मंदिर

84 Mahadev मे से एक स्वर्गद्वारेश्वर महादेव का यह दिव्य मंदिर महाकाल वन में कपालेश्वर के पूर्व में उज्जैन के नलिया बाखल क्षेत्र के पास खण्डार मोहल्ले में स्थित है।

Story of Shri Swargdwareshwar Mahadev / श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव कथा 

स्वर्गद्वारेश्वर महादेव की कथा कुछ इस तरह मिलती है कि एक बार भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती से उनके पूर्व जन्म की कथा बताते हुए बताया की उनके सटी जन्म ने उनके पिता प्रजापति दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया जिसमे सभी देवी – देवताओं, गन्धर्वो, यक्षों, ऋषि – मुनियों सहित सभी को आमंत्रित किया मगर द्वेष के कारण त्रिदेवो मे से देवाधिदेव महादेव तथा उनकी पत्नी देवी सती को आमंत्रित नहीं किया।

यहाँ कैलाश पर देवी सती अपने पिता का यज्ञ आयोजन सुन कर महादेव से ज़िद कर वे बिना आमंत्रित के यज्ञ में चले गए और वहां जाकर बहुत अपमानित हुए तथा उनके अपमानित होने पर बहुत दुखी हुए कित्नु जैसे दक्ष ने महादेव का अपमान किया देवी सती ने भयंकर रूप लेकर दक्ष को सावधान किया और अपने आप को यज्ञ में भस्म कर लिया।

सती की मृत्यु की खबर मिलते ही महादेव क्रोधित हुए और उन्होंने अपने सभी गणो को युद्ध के लिए भेज दिया और आदेश दिया की यज्ञ में सम्मिलित सभी देवताओं सहित सभी का वध कर दे। लेकिन वह दक्ष की सेना के साथ भयंकर युद्ध हुआ जिससे ज्यादा क्रोधित होकर अपने एक प्रतिरूप और गण वीरभद्र को भेज दिया।

वीरभद्र के भयंकर तांडव देखकर देवताओ सहित सभी सेना भागने लगी। यहाँ महादेव ने सभी गणो को आदेश दिया की वे सभी स्वर्ग के द्वार पर बैठ जाए और किसी भी देवता को स्वर्ग न जाने दे। दक्ष के यज्ञ की रक्षा का आशीर्वाद भगवान विष्णु ने दिया इसीलिए भगवान विष्णु और वीरभद्र के बहुत भयंकर युद्ध हुआ। विष्णु भगवान अपनी लीलाओ के कारण वीरभद्र से घायल होकर वहा से चले गये।

यहाँ देवता स्वर्ग के द्वार बंद होने के चलते ब्रम्हा के पास गए और उनसे कोई मार्ग पूछा। तब भगवान ब्रम्हा ने उन्हें बताया की महाकाल वन क्षेत्र में कपालेश्वर महादेव के पूर्व में स्थित एक बहुत ही दिव्य शिवलिंग है समयावधि के कारण वह अदृश्य हो गया है। आप उन्हें वापस खोजकर विधि पूर्वक पूजन करे उसी से सबका कल्याण होगा।

ब्रम्हा के कहे अनुसार देवताओं ने शिवलिंग खोज कर उसका पूजन किया जिससे महादेव ने संतुष्ट होकर महादेव ने अपने गणो को स्वर्ग द्वार से हटने का आदेश दिया। इस तरह महादेव ने इस लिंग की कथा सुनाई।

Shri Swargdwareshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री स्वर्गद्वारेश्वर महादेव की पूजा का महत्व 

जिस तरह देवताओं के लिए भगवान ने स्वर्ग के द्वार खोला और भय मुक्त किया वैसे ही स्वर्गद्वारेश्वर महादेव का पूजन और भजन – कीर्तन करने वाले के लिए स्वर्गलोक और हजारों अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त करेगा। अभी सोमवार, अष्टमी और चतुर्दशी पर इस मंदिर में लोग विशेष पूजा का महत्व मानते है।

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दोस्तों, इस उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से स्वर्गद्वारेश्वर महादेव की जानकारी जरुर मिली होगी। अगले आर्टिकल में हमने निर्जला एकादशी की कथा का वर्णन किया है। कृपया आप उसे भी जरूर रीड करे।

Nirajala Ekadashi Vrat kath : निर्जला एकादशी की कथा

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