Ujjain 84 Mahadev : जानिये श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव की कथा

By | August 21, 2023
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Ujjain 84 Mahadev : दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के सातवें महादेव श्री त्रिविष्टपेश्वर की कथा बताएँगे की कैसे इन भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव पड़ा।

Ujjain 84 Mahadev : श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव

त्रिविष्टपेश्वरं देवि सप्तमं पर्वतात्मजे।

यस्य दर्शन मात्रेण लभ्यते तत्रिविष्टपम्।।

84 Mahadev Ujjain : उज्जैन के 84 महादेव

Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Trivishtapeshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव मंदिर

महादेव का यह यह मंदिर उज्जैन के ओंकारेश्वर मंदिर के पीछे दाहिनी ओर एक छोटी सी गुफा में स्थित है।

Story of Shri Trivishtapeshwar Mahadev / श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव कथा 

84 Mahadev में गिने जाने वाले एक महादेव हैं श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव। कथाओं के अनुसार इस महादेव के शिवलिंग की स्थापना स्वयं देवताओं द्वारा किया गया हैं। इनकी कथा कुछ इस प्रकार है कि एक बार देवऋषि नारद भ्रमण करते हुए इंद्र के दरबार में पहुंचे।

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इंद्र लोक में देवऋषि का आगमन होने पर इंद्र ने उनका उचित सम्मान किया और महाकाल वन का माहात्म्य पूछा – तो नारद मुनि ने बताया की महाकाल वन सभी तीर्थो के सामान ही पुण्यदायी है और यहाँ पर रहना कैलाश पर रहने के सामान है क्यों की यहाँ भगवान शिव अपने गणो सहित निवास करते है। इसीलिए उनके प्रतिरूप के कारण ही महाकाल वन में लगभग साठ हजार शिवलिंग गुप्त रूप से विराजमान है। इन लिंगो के शक्ति में सामंजस रखने के लिए ही इस वन में नौ करोड़ शक्ति का वास है।

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देवराज इस समस्त संसार के लिए एक ही शक्ति स्वरूपा अपने रूप में स्थापित है किन्तु इस स्थान पर नौ करोड़ शक्ति का वास होना इस वन की महत्ता और आध्यात्म को दर्शाता है। इस वन का प्रत्येक शिवलिंग की भक्ति, शक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाला है।

वन की महत्ता जानकर इंद्र सभी देवताओ सहित महाकाल वन पधारते है और इस वन को विष्णु और ब्रम्हलोक के सामान ही सुन्दर और आध्यात्मिक पाते है। चुकी सभी लिंगो के गुप्त होने के कारण उन्हें लिंगो के दर्शन नहीं होते जिससे देवता निराश होने लगते है तभी देवऋषि उन्हें अपने लिए एक शिवलिंग की स्थापना करने का विचार दिया, जिसे देवताओं ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और वही पर एक शिवलिंग की स्थापना की जिसका नाम त्रिविष्टपेश्वर महादेव रखा गया। इस लिंग की स्थापना कर्कोटक से पूरब और महामाया से दक्षिण में हुआ है। देवताओं ने विधिवत पूजन कर पुण्यलाभ अर्जित किया।

Shri Trivishtapeshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव की पूजा का महत्व 

Ujjain 84 Mahadev मे से एक त्रिविष्टपेश्वर महादेव का मंदिर उज्जैन के महाकाल मंदिर में विराजित श्री ओंकारेश्वर मंदिर के पीछे स्थित है। सालभर आने वाले श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते है और अपनी इच्छापूर्ति की कामना करते है लेकिन कहा जाता है की जो मनुष्य यहाँ अष्टमी, चतुर्दशी तथा संक्रांति की तिथि के दिन पूजा – अर्चना करता है उसका विशेष फल उसे लोक परलोक में मिलता है।

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दोस्तों हम 84 महादेव की सीरीज में आपके लिए हर दूसरे दिन उज्जैन में स्थित 84 Mahadev के मंदिर के बारे बताएँगे और सारे मंदिर की कथा और उन शिवलिंग की पूजा महत्व बताएँगे। कृपया आप ऐसे ही हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार जानो पहुचाये। https://dharmkahani.com/ से अगर आपको कोई और जानकारी चाहिए तो आप हम कमेंट या contact पेज के जरिये संपर्क कर सकते है।

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