Read Shani Chalisa 2024 and It’s Benefits: शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से मुक्ति पाने का सरल उपाय : हर शनिवार करें शनि चालीसा का पाठ।
Shani Jayanti Special : Shani Chalisa
शनि देव की महिमा के बारें में कौन नहीं जनता। शनिदेव को धर्मराज भी कहा जाता हैं कियुकी वे धर्मराज की ही तरह सभी की पाप पुण्य का फैसला करते हैं। मनुष्यों में शनि देव का भय बहुत अधिक हैं परन्तु शनि देव जितने भयंकर हैं उतने ही दयालु भी हैं। यदि आप सही रास्ते कर चलते हैं और किसी को दुःखी नहीं करते हैं तो शनि देव का प्रभाव आपके लिए सकारात्मक होता हैं इसीलिए कहा जाता हैं की हमेशा सत्य की राह चलना चाहिए।
मनुष्य को शनि देव की कृपा पाने के लिए शनिदेव की पूजा , अर्चना करते रहना चाहिए ताकि उनकी कृपा दृष्टि बानी रहे। जब किसी भी मनुष्य की राशि पर साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष का ख़तरा मड़राता हैं ऐसे समय में सभी ज्योतिष और व्यक्ति खुद के मन में एक ही विचार आता हैं वो हैं शनिदेव की पूजा, अर्चना की बात आती हैं तब शनि चालीसा का पाठ (Shani Chalisa Ka Path ) हमेशा किया जाना चाहिए इसीलिए आज हम शनि चालीसा (Shani Chalisa) , शनि चालीसा पढ़ने के लाभ(Shani Chalisa Benefits) तथा शनि चालीसा पड़ने की विधि(Methods to read Shani Chalisa) ले कर आये हैं।
शनि देव के प्रिय हनुमान जी हैं यदि आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते है। चलिए सबसे पहले पढ़ते हैं शनि चालीसा का पाठ (Shani Chalisa Benefits) करने से क्या क्या फायदे होते हैं कैसे मनुष्य का जीवन पूरीतरह से परिवर्तित हो जाता हैं। गलत रास्ते पर चल रहा व्यक्ति सही रास्ते पर चलते लगता हैं और उसकी बुद्धि का विकास होता हैं।
Shani Chalisa Benefits : शनि चालीसा पढ़ने के लाभ
- जब कोई भी व्यक्ति शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा से करता हैं उसके मन में सकारात्मकता का संचार होता हैं नकारात्मकता पूरी तरह से दूर हो जाती है।
- मनोकामना पूर्ति के लिए भी शनि चालीसा का पाठ किया जाता हैं।
- यदि जीवन में कोई उलझन हो या किसी परेशानी का हल ना मिल रहा हो ऐसे में शनि चालीसा का पाठन हल दिलाने में मदद करता हैं।
- जीवन में साढ़ें साती व शनि दोष के प्रभाव को कम करने के साथ साथ सफलता जिलाने में शनि देव मदद करते हैं।
- शनिदेव कोई होने वाली अनहोनी से भी रक्षा करते हैं इसे में रोजाना शनि चालीसा आपकी किसी भी अनहोनी से रक्षा करेगी।
Shani Chalisa Lyrics : पढ़ें शनि चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ ४॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥
पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२॥
रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २०॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ २८॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ ३२॥
तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥ ३६॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ४०॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
Shani Chalisa Video : सुने शनि चालीसा
Way of reading Shani Chalisa : शनि चालीसा का पाठ करने की विधि
शनि चालीसा का पाठ यदि शनिवार (Shanivar Chalisa) और मंगलवार की शाम 5 बजे के बाद शनि मंदिर, हनुमान मंदिर या पीपल के पेड़ की छाया में आसन पर बैठ कर करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। परन्तु आप घर पर भी शनि चालीसा का पाठ कर सकते है इसके लिए आपको शनि चालीसा पाठ करने की विधि (Shani Chalisa path karne ki vidhi) जान लेना चाहिए जो निचे दी गयी है।
Shani Chalisa ka path kaise karna chahiye
- शनि चालीसा का पाठ करने बैठने से पहले स्नान कर स्वच्छ हो जाए।
- जहाँ भी बैठ कर पाठ करना है आसान बिछाए।
- एक पटियें पर शनि देव की प्रतिमा या फ़ोटो रखे।
- सरसों का दीपक लगाए और हाथ जोड़ कर शनि देव से प्रार्थना करें, शनि देव के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें।
- अब उड़द की दाल या चने और गुड़ का भोग लगाए।
- फिर शनि चालीसा का पाठ (Shani Chalisa) करें
- अंत में शनि देव से माफ़ी मांगे की यदि पाठन में कोई त्रुटि हो गयी हो तो माफ़ करें।
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FAQ Of Shani Chalisa : शनि चालीसा से जुड़े सवाल।
Shani Chalisa शनि चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
जब साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष होने पर दुष्प्रभावों को कम करने के लिए शनि चालीसा का पाठ करते हैं और शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
शनि चालीसा का पाठ करने का सही समय क्या है?
शनि चालीसा का पाठ आप किसी भी समय और रोज भी कर सकते हैं परन्तु शनिवार को सूर्योदय से पहले करने से शनि देव की विशेष आसीस प्राप्त होता है।
विशेष टिपणीं
शनि चालीसा का पाठ शनिवार और मंगलवार की शाम 5 बजे के बाद शनि मंदिर, हनुमान मंदिर या पीपल के पेड़ की छाया में आसन पर बैठ कर करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या शनि चालीसा का हिंदी में पाठ करना अनिवार्य है?
क्या शनि चालीसा का पाठ आप किसी भी भाषा में कर सकते है। शनिदेव तो आपकी श्रद्धा और भक्ति भाव से प्रसन्न होते हैं।
क्या शनि चालीसा का पाठ करते समय भोग लगाना चाहिए ?
हाँ, जब भी शनि चालीसा का पाठ करते समय भोग जरूर लगाना चाहिए परन्तु यदि आर्थिक स्थिति सही ना हो तो ऐसे भी कर सकते हैं।
शनि चालीसा का पाठ करते समय किस चीज़ का भोग लगाना चाहिए ?
शनि देव को कोई महंगी वस्तु या मिष्टान प्रिय नहीं हैं शनि देव तो काले वस्त्र, लोहे की वस्तु, सरसों का तेल और उड़द की दाल से प्रसन्न हो जाते हैं शनि चालीसा का पाठ करते समय यदि आप इन चीज़ो का भोग लगते हैं तब शनि देव की विशेष कृपा आप पर और आपके परिवार पर होती हैं।
शनि चालीसा पाठ करने से पहले शनि देव के किस मंत्र का जाप करना है?
शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः। शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ का जाप करना चाहिए।
Shani Chalisa : क्या शनिदेव की चालीसा का पाठ साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष होने पर ही करना चाहिए ?
नहीं , शनि चालीसा का पाठ शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता हैं परन्तु साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष होने पर पाठ करने से इनका प्रभाव कम हो जाता हैं।
Shani Chalisa : शनि चालीसा का पाठ कितने दिनों तक लगातार करना चाहिए ?
शनि चालीसा का पाठ नियमित रूप से चालीस दिनों तक करना चाहिए फिर नारियल या कहे श्रीफल शनि देव के मंदिर में चढ़ाना चाहिए।
कमजोर शनि को मजबूत कैसे मजबूत करें?
शनि यदि राशि में कमजोर हो तो आप शनि चालीसा का पाठ चालीस दिनों तक हनुमान मंदिर या शनि मंदिर में करे एक सरसो का दीपक जरूर लगाए। इससे आपके जीवन की समस्याएं कम हो जायगी।
धर्मकहानी :- धर्म कहानी पर हम धर्म से जुडी जानकारी आपके साथ साझा करते हैं। आज हमने शनि चालीसा (Shani Chalisa) साझा की हैं। यह सत्य कोई नहीं नकार सकता की इस कलयुग में भक्ति ही एक ऐसा मार्ग है जो हमें मुक्ति दिला सकता हैं इसीलिए जब आप शनि जयंती के दिन पूजा करें शनि भगवान की आरती (Buddha Aarti) करना न भूले, हम सनातन धर्म की रक्षा के लिए आपके साथ भगवान की लीलाये , चालीसा , आरती तथा कहानियाँ साझा करते हैं। यदि आप भी धर्म से जुडी कोई जानकारी जानना चाहते हैं कमेंट में जरूर बताये।
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Disclaimer: यह जानकारी इंटरनेट सोर्सेज के माध्यम से ली गयी है। जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। धर्मकहानी का उद्देश्य सटीक सूचना आप तक पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता सावधानी पूर्वक पढ़ और समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इस जानकारी का उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। अगर इसमें आपको कोई गलती लगाती है तो कृपया आप हमें हमारे ऑफिसियल ईमेल पर जरूर बताये।
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