Yogini Ekadashi 2025 : पद्मपुराण के उत्तरखंड में योगिनी एकादशी का बहुत ही अच्छे से उल्लेख मिलता है। इस वर्ष योगिनी एकादशी 21 जून 2025 शनिवार को है। आषाढ़ मास की कृष्ण एकादशी की ही “योगिनी एकादशी” कहते है। योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha) श्री कृष्ण और मार्कण्डेय द्वारा युधिष्ठर और हेममाली को सुनाई गयी थी।
Yogini Ekadashi Story : योगिनी एकादशी व्रत कथा।
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से कहा की जैसे आपने मुझे ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत का माहात्म्य सुनाया है। वैसे ही अब कृपा करके मुझे आषाढ़ कृष्ण एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है? माहात्म्य क्या है? यह भी बताइए।
श्रीकृष्ण ने कहा कि हे धर्मराज! “योगिनी एकादशी(Yogini Ekadashi)” ही आषाढ़ कृष्ण एकादशी का दुसरा नाम है। योगिनी एकादशी व्रत करने से मनुष्य अपने सारे पापों से छूट जाता है। योगिनी एकादशी सभी लोको में मुक्ति देने वाली कही गयी है। इस एकादशी को देव, गन्धर्व आदि भी करते है इसीलिए यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं पुराणों में वर्णित कथा तुमसे कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।
एक शिवभक्त राजा जिसका नाम कुबेर था राज्य स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में था। वह प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा किया करता था। एक माली जिसका नाम हेम था, वह प्रतिदिन पूजन के लिए राजा के यहाँ फूल लाया करता था। हेम की बहुत ही सुन्दर विशालाक्षी नाम स्त्री थी। रोज की तरह वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन काममोह में होने के कारण वह विशालाक्षी से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।
महल में राजा दोपहर तक राह देखता रहा। चिंतित होकर राजा कुबेर ने सैनिको को आज्ञा दी कि जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया जिससे मेरे पूजन में देरी हो रही है। सैनिको ने कहा कि महाराज वह अतिकामी है, अपनी पत्नी के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर राजा ने क्रोधित होकर उसे बुलाया।
राजा के भय से काँपता हुआ हेम माली राजन के सामने महल में उपस्थित हुआ। राजा ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे मुर्ख पापी! कामी! नीच! तेरी कामुकता के कारण पूजन में देरी हुयी जिससे मेरे परम पूजनीय देवों के देव महादेव का अनादर हुआ है, इसलिए तुझे ये शाप देता हूँ कि तू मृत्युलोक मे कोढ़ी होकर स्त्री का वियोग सहेगा’
राजा कुबेर के शाप के प्रताप से हेम माली का स्वर्ग से गिर कर पृथ्वी पर गिर गया। धरती पर आते ही वह में श्वेत कोढ़ी हो गया। और शाप के कारण उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में माली ने बहुत दु:ख भोगे, मनुष्यो से दूर जंगल में जाकर भटकता रहा। रात्रि को नींद भी नहीं आती थी, परंतु भगवन शिवजी की पूजा के प्रभाव से वह अपने पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान न भुला था।
भटकते हुए एक दिन वह ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में पहुँच गया, जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था और जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे। हेम माली ऋषि को देख कर उनके पैरों में पड़ गया।
मारर्कंडेयजी बोले ऐसा कौन-सा पाप हुआ है तुमसे, जिसके प्रभाव से यह पीड़ा भोग रहे हो। हेम माली ने सारी बात कह सुनाया। परम प्रतापी ऋषि ध्यान लगाकर सत्यता जानकर बोले – निश्चित ही मेरे सम्मुख तुने सत्य वचन कहे हैं, इसलिए अब उद्धार के लिए मैं एक एकादशी व्रत बताता हूँ। यदि तेरे द्वारा ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की “योगिनी एकादशी” का विधि से व्रत करेगा तो तेरे सब पाप छूट जाएँगे।
यह सुनते ही हेम माली प्रसन्न होकर ऋषि को साष्टांग प्रणाम किया। और हेम माली ने मुनि के बताये अनुसार ही विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। योगिनी एकादशी के महान व्रत के प्रभाव से हेम माली फिर से अपने पुराने स्वरूप में स्वर्गधाम आकर विशालाक्षी के साथ सुखी रहने लगा।
निर्जला एकादशी की तिथि, व्रत विधि और सावधानियाँ
Yogini Ekadashi Significance and Purpose – महत्व और उद्देश्य
पुराणों के अनुसार यह व्रत 88 ब्राम्हणों के भोजन करने जितना पुण्यफल देता है। जैसे हेम माली पापो से छूटकर स्वर्गधाम पहुंच गया वैसे ही सत्य निष्ठ और विधिवत यह व्रत करने से मनुष्य भी सभी पापों से छूट कर स्वर्गलोक जाएगा।
Jagannath Rathatra 2025 : जगन्नाथ रथयात्रा पर पढ़े भगवान जगन्नाथ की कथा
Yogini Ekadashi Poojan : योगिनी एकादशी पूजा विधि
- इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एकादशी व्रत का संकल्प करें।
- घर के पूजा कक्ष मे पूजा करने से पहले वेदी बनाकर, उस पर 7 धान (अनेक प्रकार के अनाज जैसे से उरद, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
- एक कलश में 5 आम या अशोक के पत्ते रखकर वेदी पर रख दें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा को वेदी स्थापित करें।
- पीले फूल, मौसमी फल और तुलसी दल भगवान विष्णु को चढ़ाएं।
- फिर धूपबत्ती का प्रयोग कर विष्णु जी की आरती करें।
- शाम को भगवान विष्णु की आरती कर फल लें।
- रात को भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
- अगली दिन किसी गरीब हो या कोई गरीब ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा देकर उसे विदा करें।
- और फिर आप भोजन कर व्रत खोले।
[…] योगिनी एकादशी […]