
Ujjain 84 Mahadev, 84 Mahadev kaun se hai?, 84 mahadev kaha hai, 84 mahadev ke naam kya hai, kapaleshwar mahadev kaha hai.
Ujjain 84 Mahadev : दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के आठवें महादेव श्री कपालेश्वर की कथा बताएँगे की कैसे भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री कपालेश्वर महादेव पड़ा। चूँकि दोस्तों हमें नासिक में एक प्रसिद्ध कपालेश्वर महादेव मंदिर की एक कथा मिलती है जो थोड़ी मिलती – जुलती है। इसलिए हम आपको नासिक के कपालेश्वर की भी कथा आने वाले वाले ब्लॉग में बताएँगे।
Ujjain 84 Mahadev : श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव
तस्मिनक्षेत्रे महलिङ्गम गजरूपस्य सन्निधौ।
विद्यते पश्य देवेश ! ब्रह्महत्या प्रणश्यति।।
Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Kapaleshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री कपालेश्वर महादेव मंदिर
कपालेश्वर महादेव का यह मंदिर चक्रतीर्थ मार्ग के सामने वाली घाटी पर चढ़कर बांई ओर से दानीगेट मार्ग के मोड़ के भी पहले छोटी सी गली में दांई ओर स्थित है।
Story of Shri Kapaleshwar Mahadev / श्री कपालेश्वर महादेव कथा
महाकालवन स्थित 84 महादेव में से एक श्री कपालेश्वर महादेव की महिमा के एक बार स्वयं देवाधि देव महादेव ने अपने भक्तो को सुनाई और अपने ही लिंग के चमत्कार के साक्षी बने। ऐसा कहा जाता की श्री कपालेश्वर महादेव की आराधना करके ही स्वयं देवाधिदेव महादेव भी अपने उपर लगे ब्रह्म हत्या दोष का निवारण किया।
समय ब्राह्मणों के द्वारा महाकाल वन में एक यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में आहुति देते हुए ब्राह्मण अपने यज्ञ को पूर्ण कर रहे थे। तभी वहां विकृत रूप में देवाधिदेव महादेव भस्म लगाकर एक कपाल हाथ में लिए आये। इस तरह ब्राह्मणों ने उनको देखकर बिना पहिचाने उनका बहुत अनादर किया और क्रोधित होकर उन्हें यहाँ से चले जाने के लिए कहा।
तब भगवान शिव ने उन्हें बताया की ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने तक वे यूँ ही कपल धारण करने का व्रत ले चुके है। मेरा व्रत सफल होने पर में ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त हो जाऊ।
भगवान शिव विकृत के रूप में वह बैठ गए और ब्राह्मणो से अनुरोध करने लगाए कित्नु ब्राह्मण बिलकुल नहीं माने, तब भगवान शिव बोले की में भोजन करके आता हूँ तब तक आप मेरा आहुति के लिए प्रतीक्षा करे लेकिन यह सुन ब्राह्मण क्रोधित होकर बिना जाने भगवान शिव से अभद्रता करके लगे जिससे वह कपाल हाथ से छूट कर गिर गया और टूट कर बिखर गया जिससे कई और कपाल बन गए। ब्राह्मणों ने उन्हें भी फेकना शुरू किया तो और कपल बनने लगे।
कपालो की संख्या देख ब्राह्मण समझ गए की यह कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं। उसके बाद सभी ब्राह्मण क्षमा मांग अपने असली रूप में दर्शन देने का अनुरोध करने लगे तब शिव ने अपना असली रूप बताया। शिव को देख ब्राह्मण अपने किये पर पछताने लगे और शतरुद्री आदि से हवन किया जिससे महादेव प्रसन्ना हुए और उन्हें बताया की जिस जगह यह कपाल गिरा है वहा मेरा एक दिव्य अनादिलिंग है समय अवधि के कारण वह ढँक गया है।
इस लिंग का पूजन कीजिये जिससे आपके द्वारा किये गए पाप और ब्रम्ह हत्या का दोष भी मिट जायेगा। इसी लिंग के पूजन से मुझे ब्रह्माजी के एक सर काटने के बाद ब्रम्ह हत्या से मुक्ति मिली थी।
Shri Kapaleshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री कपालेश्वर महादेव की पूजा का महत्व
सावन मास की चतुर्दशी और सावन के महीने में इस लिंग का पूजन करने से व्यक्ति समस्त पापो से छूट जाता हैं और विधिवत पूजन तथा रुद्राभिषेक से ब्रम्ह हत्या के निवारन की महिमा भी कही गयी है।
Related Link
5 – श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव
Nag Nageshwar Mandir Ujjain – साल में मात्र एक दिन खुलता है मंदिर
दोस्तों हम 84 महादेव की सीरीज में आपके लिए हर दूसरे दिन उज्जैन में स्थित 84 Mahadev के मंदिर के बारे बताएँगे और सारे मंदिर की कथा और उन शिवलिंग की पूजा महत्व बताएँगे। कृपया आप ऐसे ही हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार जानो पहुचाये। https://dharmkahani.com/ से अगर आपको कोई और जानकारी चाहिए तो आप हम कमेंट या contact पेज के जरिये संपर्क कर सकते है।
Pingback: 84 Mahadev Ujjain : उज्जैन के 84 महादेव, जिनके दर्शन से होंगे पाप होंगे नष्ट - Dharmkahani
Pingback: Yamuna Ashtak 2023 : यमुना अष्टक का पाठ करने से होंगे ये फायदे जाने महत्त्व ! - Dharmkahani