दोस्तों, एकादशी का व्रत (Ekadashi ka Vrat) भी करते है। लेकिन क्या आप जानते है की एकादशी कितने (Types of Ekadashi) तरह की होती है और एकादशी का इतना महत्व क्यों होता है।
Ekadashi 2024
हर वर्ष में 24 एकादशी (24 Ekadashi) होती हैं लेकिन क्या आप जानते है की एकादशी की संख्या 26 भी होती हैं लेकिन 26 एकादशी अधिक मास की स्थिति में होती है।
हमारे हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार हर महीने की 11वीं तिथि को एकादशी कहा जाता हैं। यहाँ आप अंग्रजी महीनों की 11वीं तारीख से भृमित ना होइये, हम हिन्दू पंचांग यानी की हिन्दू माह जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन की बात कर रहे हैं।
एकादशी को हमें तीन दिनों के कड़े पालन के साथ करना चाहिये। हम तीन दिन इसलिए कह रहे है की उपवास करने वाले को उपवास के एक दिन पहले दोपहर के भोजन के बाद किसी तरह का भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो की उपवास करने वाले के पेट में किसी तरह का अपशिष्ट भोजन न बचा हो। एकदशी वाले दिन एकादशी करने वाले दिन पुरे श्रद्धा और भक्ति के साथ – साथ कड़े मन से उपवास करना चाहिए। इसके बाद एकादशी के अगले दिन सूर्योदय और स्नानादी के बाद ही एकादशी का समापन करना चाहिये। याद रहे की एकादशी के दिन किसी भी तरह का अनाज जैसे गेंहू, बाजरा, ज्वार आदि खाना वर्जित होता हैं।
जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत नहीं कर पाते उन्हें उस दिन चावल और चावल से बने भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही उन्हें किसी तरह के गलत कार्य तथा किसी की निंदा नहीं करना चाहिए। एकादशी न करने वालो को पुण्यफल की प्राप्ति के लिए विष्णुसहस्त्रनाम नाम का पाठ करना चाहिए। इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन आप विधि पूर्वक भगवान श्री हरी विष्णु का पूजन करना चाहिए।
List of Ekadashi 2024 : माह के अनुसार एकादशी के नाम
माह का नाम | पहली एकादशी | दूसरी एकादशी |
चैत्र मास | पापमोचनी एकादशी | कामदा एकादशी |
वैशाख मास | वरुथिनी एकादशी | मोहिनी एकादशी |
ज्येष्ठ मास | अपरा / अचला एकादशी | पाण्डव निर्जला / रुक्मणी-हरण एकादशी |
आषाढ मास | योगिनी एकादशी | देवशयनी एकादशी |
श्रावण मास | कामिका एकादशी | पुत्रदा / पवित्रा एकादशी |
भाद्रपद मास | अजा / अन्नदा एकादशी | परिवर्तनी / पार्श्व / पद्मा / जयंती / जल झुलनी / देवझूलनी / वामन एकादशी |
अश्विन् मास | इंदिरा एकादशी | पापांकुशा एकादशी |
अधिक मास: | पद्मिनी / कमला / पुरुषोत्तमी एकादशी | परमा एकादशी |
कार्तिक मास | रमा एकादशी | देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी |
मार्गशीर्ष मास | उत्पन्ना एकादशी | मोक्षदा एकादशी |
पौष मास | सफला एकादशी | पौष पुत्रदा / पवित्रा / वैकुण्ठ एकादशी |
माघ मास | षटतिला एकादशी | जया / भैमी एकादशी |
फाल्गुन मास | विजया एकादशी | आमलकी / रंगभरनी / कुंज / खाटू एकादशी |
Trisparsha Ekadashi 2024 : क्या होती है त्रिस्पृशा?
दोस्तों आप लोगों मे से कई लोग एकादशी का व्रत करते होंगे लेकिन आप लोग त्रिस्पृशा एकादशी (Trisparsha Ekadashi) का नाम पहली बार सुन रहे होंगे। तो आइये हम आपको बताते है की क्या होती है त्रिस्पृशा तिथि और क्या है इसका महत्व (Importance Of Trisparsha Ekadashi) ।
जब किसी एकादेशी वाली तिथि के दिन ही द्वादशी और तो और रात्रि के तिथि में त्रयोदशी (तेरस) भी पड़ जाए तो ऐसी एकादशी को त्रिस्पृशा एकादशी कहा जाता है।
यदि किसी एकादशी में सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय तक द्वादशी और थोडे समय के लिए भी त्रयोदशी की तिथि पड़ती है तो उसे भी त्रिस्पृशा एकादशी ही कहा या माना जाता है।
Types of Ekadashi : एकादशी के प्रकार
एकादशी दो तरह की होती है।
- सम्पूर्णा एकादशी : सम्पूर्णा एकादशी उस तिथि को कहते है जिस दिन केवल एकादशी की तिथि होती है उसके अलावा कोई और तिथि नहीं होती है।
- विद्धा : विद्धा एकादशी भी पुनः २ प्रकार की होती है।
- पूर्वविद्धा : जिस एकादशी में दशमी की तिथि का मिश्रण हो इस तिथि की एकादशी को पूर्वविद्धा एकादशी कहा जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यदि अरुणोदय काल (सूर्यदेव के निकलने से 1 घंटा 36 मिनट का समय) में यदि दशमी तिथि का क्षणभर का भी समय रह जाता है तो ऐसी एकादशी दोषपूर्ण होती है इस एकादशी को करने से दैत्यों का बल बढ़ता है और सभी पुण्यों का नाश हो जाता हैं।
- परविद्धा : द्वादशी मिश्रित एकादशी को परविद्धा एकादशी कहते हैं।
वासरं दशमीविधं दैत्यानां पुष्टिवर्धनम ।
मदीयं नास्ति सन्देह: सत्यं सत्यं पितामहः ॥ [पद्मपुराण]
दशमी मिश्रित एकादशी दैत्यों के बल बढ़ाने वाली है इसमें कोई भी संदेह नहीं है।
द्वादशी मिश्रिता ग्राह्य सर्वत्र एकादशी तिथि।
द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण करने योग्य है।
FAQ Of Ekadashi Vrat : एकादशी या कहें ग्यारस से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल।
एकादशी शब्द का क्या अर्थ है?
एकादशी का अर्थ “ग्यारहवीं” होता है। हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार एकादशी हर महीने में दो बार आने वाली तिथि है, पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में।
हिंदू धर्म में एकादशी को खास क्यों माना जाता है?
एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए बहुत विशेष दिन माना जाता है। एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य की आत्मिक शुद्धि होती है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है तथा उसे मन को शांति मिलती है।
हिंदू धर्म में एकादशी को खास क्यों माना जाता है?
हर माह में दो एकादशी होती हैं – शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी।
एकादशी का व्रत कैसे रखा जाता है?
एकादशी का व्रत करने के लिए ब्रम्ह्महूर्त में उठकर स्नान आदि कार्य कर के भगवान विष्णु की पूजा करें और आहार के रूप में फलाहार ग्रहण करें। कोशिश करे की आप आपके मन में भी किसी तरह के गलत विचार ना आये।
एकादशी के व्रत में क्या खाया जा सकता है?
एकादशी के व्रत में आप दुध, फल आदि का आहार ले सकते है जो अनाज से न बना हो।
एकादशी के व्रत में किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?
एकादशी के व्रत करने वाले व्रती को किसी भी तरह का अनाज और तामसी भोजन से दूर रहना चाहिये।
एकादशी व्रत के क्या लाभ मिलते हैं?
एकादशी व्रत रखने वाले मनुष्य के पापों का नाश, उसके मन की शुद्धि, स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक उन्नति के लाभ भगवान श्री हरि की कृपा से मिलते हैं।
दोस्तों, आशा है आप भी एकादशी का यह महत्वपूर्ण आर्टिकल पढ़ कर एकादशी का व्रत( Ekadashi Vrat ) करने की इच्छा जरूर जाग्रत होगी होगी। यदि हुई हैं तो हमें कमेंट में जरूर बताये आपसे एक और निवेदन है। आप इस आर्टिकल को दोस्तों और परिवार में जरूर शेयर करें ताकि वे भी एकादशी ( Ekadashi Vrat ) कर के भगवान विष्णु कि कृपा प्राप्त करें।
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