Ujjain 84 Mahadev Anadikalpeshwar Mahadev (5) : दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के पाँचवे महादेव श्री अनादिकल्पेश्वर की कथा (Anadikalpeshwar Mahadev katha) बताएँगे की कैसे इन भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इस मंदिर का नाम श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव (Anadikalpeshwar Mahadev) पड़ा।
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Ujjain 84 Mahadev : श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव
अनादिकल्पेश्वरं देवं पंचमं विद्धि पार्वती।
सर्व पाप हरं नित्यं अनादिर्गीयतेसदा।।
Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Anadikalpeshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव मंदिर
श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव मंदिर उज्जैन के एक क्षेत्र जूना महाकाल मंदिर के पास है। जूना महाकाल क्षेत्र महाकाल मंदिर से कुछ ही दुरी पर है।
Story of Shri Anadikalpeshwar Mahadev / श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान देवाधि देव महादेव अपनी पत्नी जगतजननी माँ पार्वती को इस लिंग की महिमा बताते हुए कहते है की – मेरे द्वारा प्रकट हुआ यह दिव्य लिंग कल्प से भी पहले का प्रकट किया गया है। जिस समय यह लिंग प्रकट हुआ उस समय इस ब्रम्हांड में ना अग्नि, ना सूर्य, ना पृथ्वी, ना दिशा, ना वायु, ना जल, ना चंद्रग्रह, ना देवता, ना असुर, ना गन्धर्व और नहीं पिशाच आदि थे। मेरे इसी दिव्य लिंग से इस जगत के पितृ, ऋषि आदि के वंश उत्पन्न हुए हैं। यही वह लिंग है जिससे ही सारा संसार उत्पन्न हुआ है और अंत में लीन भी इसी में हो जायेगा।
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इस शिवलिंग के बारे में पौराणिक कथा इस तरह है की एक बार भगवान ब्रह्मा और श्री हरि विष्णु में यह विवाद हो गया कि इस संसार में प्रथम कौन है और किसने उनकी रचना की है। तभी यह गर्जना के साथ आकाशवाणी हुई और उसमे कहा गया की महाकाल वन क्षेत्र में स्थित कल्पेश्वर नामक लिंग है, उसक दिव्य लिंग का जो आदि या अंत जो जान लेगा वही प्रथम और बड़ा है।
यह सुनकर दोनों अपनी पूरी शक्ति से महाकाल वन पहुंचते है और लिंग का आदि तथा अंत खोजना शुरू करते है लेकिन पता नहीं कितना समय खोजने के बाद और अथक प्रयासों के बाद भी ब्रम्हा तथा श्री हरि विष्णु को उस लिंग का ना आदि तथा ना अंत दिखा तभी इस लिंग का नाम श्री अनादिकल्पेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
Shri Anadikalpeshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव की पूजा का महत्व
कई पुरोहित और धर्माचार्यों का ऐसा मत है कि इस जगत के सभी तीर्थों में जो जलाभिषेक करने से जो पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है उतना ही पुण्य लाभ सिर्फ अनादिकल्पेश्वर के दर्शन और अभिषेक करने मात्र से होता है। कई तरह के पापों और दुष्ट मन रखने वाला मनुष्य भी श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव के दर्शन से पवित्र हो जाता है।
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दोस्तों हम 84 महादेव की सीरीज में आपके लिए हर दूसरे दिन उज्जैन में स्थित 84 Mahadev के मंदिर के बारे बताएँगे और सारे मंदिर की कथा और उन शिवलिंग की पूजा महत्व बताएँगे। कृपया आप ऐसे ही हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार जानो पहुचाये। https://dharmkahani.com/ से अगर आपको कोई और जानकारी चाहिए तो आप हम कमेंट या contact पेज के जरिये संपर्क कर सकते है।
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