Utpanna Ekadashi 2024 Date, Time, Muhurat And Utpanna Gyaras katha मार्गदर्शी कृष्ण एकादशी कब हैं महत्त्व तथा सम्पूर्ण कथा। उत्पन्ना एकादशी मंगलवार 26 नवम्बर 2024 को हैं।
Utpanna Ekadashi 2024 : उत्पन्ना एकादशी
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकदशी होती हैं। उत्पन्ना एकादशी के दिन ही एकादशी माता का जन्म हुआ था इसीलिए यह एकादशी बहुत ख़ास मणि जाती हैं। देवउठनी एकादशी के बाद उत्पन्ना एकादशी होती हैं। उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाती है जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र-प्रदेश और गुजरात में इसे कार्तिक महीने में मनाया जाता है।
जैसे की सभी जानते हैं एकादशी या ग्यारस का व्रत करने का अत्यधिक महत्त्व होता हैं। मनुष्य को जीवन मरण के चक्करो से दूर कर देती हैं मुक्ति का रास्ता खोलता हैं। जो भी एकादशी का व्रत शुरू करना चाहता हैं वो उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत शुरू किया जाता हैं।
Utpanna Ekadashi 2024 Date : उत्पन्ना एकादशी कब हैं ?
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकदशी तिथि पर उत्पन्ना एकादशी 2024 में 26 नवम्बर 2024, मंगलवार को मनाई जाएगी।
Utpanna Ekadashi 2024 Muhurat : उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी तिथि का प्रारंभ : 26 नवंबर को 01:01 AM से प्रारम्भ होकर
उत्पन्ना एकादशी तिथि का समापन : 27 नवंबर को 03:47 AM पर होगी।
एकादशी व्रत का पारण का समय 27 नवंबर को 01:12 PM से 03:18 PM तक रहेगा।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi Vrat Katha)
उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा अनुसार सतयुग में मुर नाम का एक बलशाली व दुराचारी राक्षस था। जिसने अपने पराक्रम से स्वर्ग को जीत लिया था। जिससे इंद्र देव, वायु देव और अग्नि देव समस्त सभी देवों को जीवन यापन के लिए मृत्युलोक जाना पड़ा। दुखी होकर देवराज इंद्र कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से मिलने गए जहां उन्होंने भगवान को अपना दु:ख बताया।
इंद्र देव की प्रार्थना सुनकर महादेव ने उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने की सलाह दी। इसके बाद सभी देवगण क्षीरसागर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान विष्णु से राक्षस मुर से रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया।
इसके बाद कई सालों तक भगवान विष्णु और राक्षस मुर के बीच महायुद्ध चलता रहा। युद्ध के समय भगवान विष्णु को नींद आने लगी और वो विश्राम करने के लिए एक गुफा में जाकर सो गए। भगवान विष्णु को सोता देख राक्षस मुर उन पर आक्रमण करने लगा। लेकिन उसी दौरान भगवान विष्णु के शरीर से एक कन्या उत्पन्न हुई। इसके बाद मुर और उस कन्या के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में राक्षस मुर मारा गया।
इसके बाद जब भगवान विष्णु की नींद खुली तो उन्हें पता चलता है कि किस तरह से उस कन्या ने भगवान विष्णु की रक्षा की। इसके बाद उन्होंने देवी से कहा कि, हे देवी, आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है इसलिए आप एकादशी देवी के नाम से जानी जाएंगी। जो लोग आपकी पूजा करेंगे उनके सारे पाप जैसे चोरी, धोकड़ारी, जो हत्या और भी कई नष्ट हो जाएंगे। कहते हैं तब से ही एकादशी देवी की व्रत-पूजा का प्रचलन शुरू हो गया।
जिस दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई उस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हुई । सभी को एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।
उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व (Utpanna Ekadashi Ka Mahatva)
- सनातन धर्म में उत्पन्ना एकादशी का अत्यधिक महत्त्व होता हैं। उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में उत्तर भारत में मनाई जाती है जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र-प्रदेश और गुजरात में इसे कार्तिक महीने में मनाया जाता है।
- एकादशी व्रत की शुरुआत उत्पन्ना एकादशी से करना शुभ होता है। मान्यता है इस एकादशी व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- सनातन धर्म में एकादशी का ही व्रत ऐसा हैं जिसकी मान्यता सभी व्रतों से ज्यादा है केवल एकादशी व्रत में ही कहा जाता हैं दिन में एक से ज्यादा बार हर करें परन्तु व्रत तो करना चाहिए।
- एकादशी माता को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता हैं।
- उत्पन्ना एकादशी पर करें तुलसी चालीसा , खाटू श्याम चालीसा का पाठ घर में होगा धन की देवी मां लक्ष्मी का वास
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वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा और महत्त्व
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