चैत्र (Chaitra Navratri) और शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में माँ के नौ रूपों की पूजा और आराधना की जाती है जिन्हे हम नौ दुर्गा कहते हैं। ये नौ रूप हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
What is difference in Chaitra and Shardiya Navratri?, What is Chaitra Navratri?, What is Shardiya Navratri? Chaitra aur Shardiya Navratri me kya antar hai? Chaitra Navratri kab hoti hai? Shardiya Navratri kab hoti hai?
एक साल में कितनी नवरात्रि होती है ? (How many Navratri are Celebrated in a year?)
हिन्दू या यूँ कहे सनातन धर्म के तिथि गणना के अनुसार हर साल चार नवरात्रि होती हैं। जिसमे सबसे प्रथम नवरात्रि चैत्र माह में आती हैं। कुछ जगह पर इस नवरात्रि को वासंती नवरात्रि भी कहा जाता हैं।
द्वितीय नवरात्रि आषाढ़ माह में होती है जो एक तरह से गुप्त नवरात्री कहलाती है।
तृतीया नवरात्रि जो सबसे महत्त्व पूर्ण होती है उसे ही शारदीय नवरात्रि कहते है। जो आश्विन माह में पड़ती है।
चतुर्थ नवरात्रि माघ माह में होती है जिसे हम फिर से गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
क्या अंतर हैं सभी नवरात्रि में ?
आषाढ़ और माघ नवरात्रि (Ashadh and Magh Navratri)
वैसे तो सभी नवरात्रि माँ दुर्गा की आराधना और पूजा के लिए ही होती है लेकिन तरीका अलग होता है। जैसे आषाढ़ और माघ माह में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होती है। इन दोनों तिथि के समय तांत्रिक और साधक अपने चरम भक्ति और शक्ति को पाने के लिए कठिन साधना करते है। यह नवरात्रि विद्या दायनी होती है क्यों की इन दोनों नवरात्रि में हम माँ पार्वती के १० महाविद्याओं की आराधना करते हैं।
ये दस महाविद्याएं हैं – मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी। इन देवियों की उपासना होती है गुप्त नवरात्र में।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri)
चैत्र नवरात्रि में साधक सिद्धि प्राप्त करने के लिए बहुत ही कठिन साधनाये करते है। कहा जाता हैं की यह नवरात्रि के तप कुछ कठिन होते है और इसमें होने वाले व्रत भी कठिन तरह से होते है। चैत्र नवरात्रि के अंत में रामनवमी होती है इसलिए चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) में माँ दुर्गा और विष्णु दोनों की आराधना होती है। चैत्र नवरात्रि में लोग आध्यात्मिक इच्छाओं, मोक्ष और सिद्धी के लिए बहुत ही अच्छा समय मानते है इसलिए माँ की आराधना चैत्र नवरात्री में करते है। चुकी माँ ही जगत जननी है प्रकृति है इसलिए उनके आराधना के प्रारम्भ के समय ही चैत्र नवरात्रि में वसंत का आगमन होता हैं।
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri)
शारदीय नवरात्रि को हम हमेशा साधना और नृत्य के उत्सव के रूप में मनाते आये है। शारदीय नवरात्रि में मनुष्य अपनी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए आराधना करता है। इस नवरात्रि (Shardiya Navratri) के अंत में हिंदु सनातनी धर्म के लिए दो मुख्य त्यौहार और तिथि होती है पहली दुर्गा महानवमी और दसवे दिन दशहरा जिसे हम विजयादशमी कहते है।
विजयादशमी के दिन ही कालांतर में माँ दुर्गा ने महिषासुर नाम के महापराक्रमी राक्षस से इस संसार की रक्षा करते हुए उसका वध किया था और त्रेतायुग में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम रघुकुल शिरोमणि प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया था। इन दो महत्वपूर्ण युद्ध में एक बात में समानता थी की दोनों ही राक्षस बहुत अहंकारी और अधर्मी थे इसलिए हम इस दिन को धर्म की अधर्म पर विजय के रूप में मानते हैं।
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बहुत- बहुत धन्यवाद
सराहनीय लेख 👍
Buhut uttam
बहुत ही बढ़िया जानकारी साझा की है,,👍
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