Ujjain 84 Mahadev Siddheshwar Mahadev (11) : दोस्तों, आज हम आपको 84 महादेव सीरीज के ग्यारहवें महादेव की कथा (Siddheshwar Mahadev Ka Katha) बताएँगे की कैसे इन भक्तो पर कृपा करने के की वजह से इन मंदिर को प्रसिद्धि बढ़ी और किस कारण इन मंदिरों के नाम श्री सिद्धेश्वर महादेव ( Siddheshwar Mahadev) पड़ा
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Ujjain 84 Mahadev Siddheshwar Mahadev(11): श्री सिद्धेश्वर महादेव
लिङ्गं एकादशं विद्धि देवि सिद्धेश्वरम् शुभम।
वीरभद्र समीपे तु सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
Ujjain 84 Mahadev : Location of Shri Siddheshwar Mahadev Temple / कहाँ है 84 महादेव का श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर
श्री सिद्धेश्वर महादेवजी का मंदिर उज्जैन नगर में स्थित भेरूगढ़ क्षेत्र में सिद्धनाथ के मुख्य द्वार पर स्थित है। श्री सिद्धनाथ में दर्शन करने वाले श्रद्धालु श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आकर दर्शन लाभ लेते हैं।
Story of Shri Siddheshwar Mahadev / श्री सिद्धेश्वर महादेव कथा
पौराणिक कथा के अनुसार श्री सिद्धेश्वर महादेव की घटना का विवरण कुछ ब्राह्मणों के स्वार्थवश सिद्धि प्राप्त करने और जब सिद्धि न मिली तो नास्तिकता की ओर बढ़ने से है।
एक समय की बात है की कुछ स्वार्थी ब्राह्मणों ने सिद्धि प्राप्त करने का निश्चय किया। लेकिन एक दुसरे को दिखाने के लिए किसी ने सिर्फ पत्ती, किसी ने फलाहार तो किसी ने सिर्फ जल आदि के आहार पर तपस्या करना शुरू कर दिया। कई वर्षों तक जब तपस्या करने पर भी ब्राह्मणों को सिद्धि नहीं मिली तो उन्होंने भगवान के होने पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया और नास्तिकता का बखान करते हुए नास्तिक बनने लगे।
ब्राह्मणों के इस अनुचित व्यवहार के कारण बड़ी गर्जना के साथ आकाशवाणी हुई की सभी ब्राह्मणों के द्वारा स्वार्थ से सिद्धि प्राप्त करने और एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने के किसी को भी सिद्धि प्राप्त नहीं हुयी। अगर कोई भी मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि से मुक्त हो जाए तो ही सिद्धि प्राप्त होती हैं।
आप सभी ब्राह्मण गण महाकाल वन की ओर प्रस्थान करे वही वीरभद्र के पास आपको एक दिव्य लिंग के दर्शन होंगे। भगवान देवाधिदेव महादेव आपको अवश्य ही आपके इच्छा अनुसार सिद्धियाँ प्रदान करेंगे। इस महाकाल वन में आकर ही कई ऋषि और राजा को सिद्धियाँ हुयी है जिनके नाम है सनकादि मुनि, राजा वसुमान, महात्मा हैहय तथा कार्तीवीर्य हैं।
Shri Siddheshwar Mahadev Puja Mahtva / श्री सिद्धेश्वर महादेव की पूजा का महत्व
सिद्धेश्वर महादेव के दर्शन से महा पापी को भी सिद्धियाँ मिल जाती है और ज्ञानरूपी ऐश्वर्य की प्राप्ति हो जाती है। ऐसा कहा जाता है की 6 महीने तक हर रोज दर्शन और अभिषेक करने से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। अष्टमी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पूजन करने का विशेष महत्व है। कहा तो यह भी जाता है की संक्रांति और ग्रहण के दिन पूजन और रुद्राभिषेक करने से मनुष्य स्वयं के साथ साथ अपने पूर्व की 100 पीढ़ियों का उद्धार कर लेता है।
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दोस्तों, इस उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से Ujjain 84 Mahadev Siddheshwar Mahadev(11) की जानकारी जरुर मिली होगी। अगले आर्टिकल में हमने निर्जला एकादशी की कथा का वर्णन किया है। कृपया आप उसे भी जरूर रीड करे।
Nirajala Ekadashi Vrat kath : निर्जला एकादशी की कथा
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