Hanuman Chalisa : कलियुग में हनुमानजी जागृत देवता माने जाते हैं। सिर्फ कलियुग ही नहीं बल्कि त्रेतायुग भगवान महाबली हनुमान ने अपने बल और बुद्धि से प्रभु श्री रामजी के काज किये और कलियुग में भगवान बलराम का अहंकार चूर करने से लेकर, बलवान भीम को आशीर्वाद दिया। कलियुग में तुलसीदास को दर्शन देकर हनुमानजी ने कृपा बरसाई।
तुलसीदास कृत हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa) पढ़ने के भी बहुत लाभ है। वैसे तो अगर कोई व्यक्ति हर रोज तय समय पर हनुमान चालीसा पढ़ते है तो उस पर भगवन महाबली हनुमान की विशेष कृपा होती है।
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Hanuman Chalisa Ke Laabh : हनुमान चालीसा पढ़ने के लाभ
हनुमान जी भगवान शिव का रूद्र अवतार हैं। महादेव तो देवो के देव उनके लिए कौन सा कार्य कठिन हैं इसीलिए हनुमान चालीसा से बड़े-बड़े कार्य बन जाते हैं।
Read Hanuman Chalisa Benefits
1. बच्चो का अगर पढ़ाई में मन नहीं लगता तो बच्चे इस छंद का पाठ करे –
==> बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।
2. व्यक्ति को अगर अकारण ही मन में अकारण भय हो तो वह इस छंद को पढ़े –
==> भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे।
3. कोई कार्य अगर रुक गया हो उस कार्य को सिद्ध करने के लिए यह छंद का जप करे –
==> भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचन्द्र के काज सँवारे।
4. यदि कोई लम्बे समय से बीमार हैं तो छंद का जप करे –
==> नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा।
5. यही किसी के प्राणों पर संकट आ जाये तो यह छंद का जप करे –
==> संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
या
==> या संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
6. यदि कोई व्यक्ति बुरी संगत में पड़े हैं और यह संगत छुट नहीं रही है तो यह छंद का जप करे –
==> महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी
7. यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के बंधन में हैं तो यह छंद का जप करे –
==> जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बन्दि महा सुख होई।
8. यदि किसी तरह का डर लग रहा हो तो यह छंद का जप करे –
==> सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।
9. आपके मन में किसी भी प्रकार की मनोकामना है तो इस छंद का जप पढ़ें –
==> और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै।
(Hanuman Chalisa Hindi Lyrics)
॥ श्री हनुमान चालीसा लिरिक्स ॥
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए। श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा ॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना। राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै ॥२४
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तै हनुमान छुडावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥
सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै ॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई। जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥
और देवता चित्त ना धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
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Hanuman Chalisa से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
◉ श्री भगवन श्री हनुमान की पूजा और आराधना में श्री हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa), श्री बजरंग बाण तथा श्री संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही मुख्य रूप से होता है।
◉ मंगलवार व्रत, शनिवार की पूजा, श्री हनुमान जन्मोत्सव, श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में हनुमान चालीसा को पढ़ना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। हनुमान चालीसा स्वयं गोस्वामी श्री तुलसीदास जी(Goswami Tulsidas rachit Hanuman Chalisa) ने द्वारा रचित हैं, जो कि रामचरितमानस के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है।
इंदौर का रणजीत हनुमान मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हैं यहाँ फेसबुक लिंक दी गयी हैं विजिट कर के जरूर देखे। जीवन में जब भी मौका मिले रणजीत बाबा के दर्शन जरूर करें
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