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झूलेलाल सिन्धी समाज के इष्ट देव है। उनके उपासक उन्हें वरुण (जल देवता) का अवतार मानते हैं। वरुण देव को सागर के देवता व सत्य के रक्षक तथा दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है। उनका विश्वास है कि जल से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जल ही जीवन है। इसी मान्यताओँ पर चलते हैं।
Jhulelal Ki Aarti Lyrics : Jhulelal Sai Aarti in Sindhi
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा । पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
ॐ जय दूलह देवा…
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली । दान वठन सभु दिलि,सां कोन दिठुभ खाली ॥
ॐ जय दूलह देवा…
अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं । पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू ॥
ॐ जय दूलह देवा…
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन । तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी ॥
ॐ जय दूलह देवा…
ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली । अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली ॥
ॐ जय दूलह देवा…
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास । जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा…
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा । पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा ॥
ॐ जय दूलह देवा… ॥
इति श्री झूलेलाल आरती संपूर्णम् ॥
Jhulelal Ki Aarti Image : भगवान झूलेलाल आरती
श्री झूलेलाल भगवान आरती का महत्त्व Significates Of Jhulelal Aarti
भगवान झूलेलाल जल के देवता के रूप मैं पूजे जाते हैं इसीलिए सिंधी समाज व झूलेलाल भगवान की पूजन या कहें उपासना करने वाले उपासक भगवान झूलेलाल की पूजा अर्चना पूरी आस्था व सम्मान से करते हैं। पूजन के पश्यात झूलेलाल की आरती का विशेष महत्त्व होता हैं।
मान्यता हैं यदि पूजन के पश्यात भगवान झूलेलाल की आरती की जाती है तो जीवन मैं जल से जुडी सभी समस्यां दूर हो जाती हैं। भगवान झूलेलाल की कृपा से जीवन मैं सुख , शांति तथा समृद्धि बनी रहती हैं।
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भगवान झूलेलाल की आरती PDF में डाउनलोड करना चाहते हैं तो निचे दी गयी लिंक पर क्लिक करके कर सकते हैं। जब भी आपको भगवान झूलेलाल की पूजन या आरती करना हो कर सकते हैं। भगवान झूलेलाल आपके और आपके परिवार पर अपनी असीम कृपा बनायें रखेंगे।
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दोस्तों, इस उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से भगवान झूलेलाल की आरती (jhulelal ki Aarti) & स्तुति पढ़ने के लाभ की जानकारी जरुर मिली होगी। आप यदि श्री गिरिराज’ चालीसा (Giriraj Chalisa) का पाठ करना चाहते है। तो कृपया जरूर रीड करे।
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