Lets know all about Khatushyam Temple हारे का सहारा खाटूश्याम बाबा इस कलयुग में श्री कृष्ण के अवतार साक्षात भगवान के रूप में शिखर जिले के खाटू गाँव में विराजमान हैं जिसे खाटूश्याम की नगरी कहाँ जाता हैं आइये जानते हैं खाटूश्याम कौन थे ? खाटूश्याम मंदिर का इतिहास (Khatushyam Temple) , खाटूश्याम मंदिर की स्थापना किसने की थी (Khatushyam Temple kisne Banaya) ? तथा खाटूश्याम मंदिर से जुड़े रहस्य (Khatushyam Temple Secretes) तथा खाटूश्याम बाबा को क्या समर्पित कर के मनोकामना मांगना चाहिए जिससे मनोकामना पूर्ण होती है। जाने खाटूश्याम मंदिर से जुड़ें सवालों के जवाब।
खाटूश्याम मंदिर शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित खाटू गाँव में हैं। खाटूश्याम का जन्मदिवस देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता हैं। कलयुग में श्री कृष्ण का अवतार खाटूश्याम बाबा को माना जा रहा हैं। बाबा खाटूश्याम से जो भी मनुष्य कामना ले कर जाता हैं वो पूरी हो जाती हैं। खाटूश्याम जाने वाला भक्त हर क्षेत्र में उन्नति पाते हैं। आइये जानते हैं खाटूश्याम के बारे में रोचक तथ्य।
Khatushyam Temple History : खाटूश्याम मंदिर का इतिहास
खाटूश्याम बाबा की कहानी महाभारत काल की हैं पांडव जब वन वन भटक रहे थे। पांडव पूर्व भीम की भेट हिडिम्बा से हुई। हिडिम्बा और भीम का पुत्र घटोत्कच था जो बहुत ही शक्तिशाली था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक हुआ। बर्बरीक घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली और धर्मात्मा था। बर्बरीक माता का बहुत बड़ा उपासक था। बर्बरीक की भक्ति से प्रसन्न हो कर देवी ने उन्हें तीन तीर का वरदान था जो लक्ष्य पूरा करने के बाद वापस उसी के पास आ जाते थे। इसी तरह बर्बरीक अजेय था कोई भी शत्रु उसके सामने खड़ा नहीं हो पता था।
पांडवों और कौरवों का युद्ध होने वाला था तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का फैसला लिया। बर्बरीक युद्ध के मैदान में पहुंचे श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा तुम किसकी तरफ से लड़ोगे तभी बर्बरीक ने उतर दिया जो हर रहा होगा उसकी तरफ से मैं लडूगा। इसी बात पर श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कौशल की परीक्षा लेने की सोची एक पीपल के पेड़ के निचे खड़े हो कर बर्बरीक के सामने चुनौती रखी की एक ही तीर में तुम्हे इस वृक्ष के सभी पत्तों को भेदना है
बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार कर ली और तीर छोड़ा जो वृक्ष के सभी पत्तो को एक एक कर भेदने लगा एक पत्ता निचे गिर गया जिसे श्री कृष्ण ने अपने पैर में दबा लिया ताकि एक पत्ता छूट जाये परन्तु तीर सभी पत्तो को भेदते हुए भगवान श्री कृष्ण के पैर के पास जा कर रुक गया तभी बर्बरीक ने श्री कृष्ण से कहा की आप अपना पैर हटाइये आपके पैर के निचे पत्ता हैं अपने पत्ते को भेदने की आज्ञा दी हैं पेअर को नहीं।
श्री कृष्णा इस अत्यधिक आश्र्यजनक घटना को देख कर चकित रह गए और उन्हें सोचा ऐसा तो एक ही तीर में बर्बरीक पांडवों और कौरव दोनों की सेना समाप्त कर देंगे। इसीलिए श्री कृष्णा ने एक योजना बनायीं उन्होंने ब्राह्मण का रूप धारण कर लिए बर्बरीक के निवास स्थल पर पहुंचे। बर्बरीक से भिक्षा मांगी बर्बरीक ने ब्राह्मण से पूछा आपको भिक्षा में क्या चाहिए। श्री कृष्ण ने कहा तुम दे ना सकोगे तभी बर्बरीक ने आग्रह किया की आप बताईये मैं वादा करता हु की आपको जरूर दुगा फिर श्री कृष्ण ने कहा मुझे तुम्हारा सिऱ चाहिए।
बर्बरीक इसी तरह भगवान श्री कृष्ण के जाल में फस गए। बर्बरीक ने पितामह पांडव की जितने की सुबेक्छा के साथ शीशदान कर दिया। बर्बरीक ने श्री कृष्ण से महाभारत्त का युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की जिसका मान रखते हुए श्री कृष्ण जी ने एक विशेष दृष्टि दी और उनका शीश ऊचाई पर रख दिया।
जहा से उन्होंने महा भारत का युद्ध देखा और जब पंडाओं की जीत को ले कर बहस हो रही थी तभी श्री कृष्ण ने कहा इसका फैसला बर्बरीक करेगा तभी बर्बरीक ने फैसला ली पंडाओं की विजय हुयी। बर्बरीक की इस धर्म परायण नीति से प्रसन्न हो कर श्री कृष्ण ने वरदान दिया की कलयुग में तुम साक्षात मेरे रूप में खाटूश्याम बाबा के रूप में पूजे जाओगे। जिस भक्त का कोई सहारा नहीं होगा उसका तुम सहारा बनोगे।
कलयुग में हारे का सहारा खाटूश्याम बाबा के रूप में प्रसिद्ध होंगे।
Khatushyam Aarti Timing | Shyam Baba Temple Timing
खाटूश्याम आरती का टाइम होता हैं जो सर्दियों और गर्मियों में अलग अलग होता हैं इसीलिए आज जब हम खाटूश्याम मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी दे रहे हैं तो बाबा खाटू श्याम मंदिर आरती का समय सारणी दी गयी हैं।
आरती के नाम | सर्दियों में समय | गर्मियों में समय |
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मंगला आरती | 05.30 प्रात: | 04.30 प्रात: |
श्रृंगार आरती | 08.00 प्रात: | 07.00 प्रात: |
भोग आरती | 12.30 दोपहर | 01.30 दोपहर |
संध्या आरती | 06:30 सायं | 07:30 सायं |
शयन आरती | 09.00 रात्रि | 10.00 रात्रि |
यदि आप अपने घर पर भी खाटूश्याम की आरती करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।
Khatushyam Temple kisne Banaya :खाटूश्याम मंदिर की स्थापना किसने की थी
ऐसा माना जाता है कि खाटू गांव के राजा रुपसिहं को एक रात मंदिर बनवाने का सपना आया था की बर्बरीक के शीश को स्थापित कर मंदिर का निर्माण करने का आदेश श्री कृष्ण ने दिया था परन्तु राजा राजकार्य में व्यस्त होने के कारण भूल गए फिर खाटू गांव में एक गाय चरते-चरते एक जगह रुक गयी और वह उसके स्तनो से दूध की धार गिरने लगी यह देख सभी गांव वाले एकत्रित हो गए। सभी ने यह खबर राजा को पहुँचायी। इस दृश्य को देख राजा को अपना सपना स्मरण आ गया और राजा ने सिपाईयों को खुदायी करने का आदेश दिया खुदाई करने पर बर्बरीक का शीश मिला राजा ने इस सपने को पूरा किया।
खाटूश्याम मंदिर (khatushyam mandir kisne banaya) का निर्माण खाटू गांव के राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया। धार्मिक मान्यता है कि खाटू श्याम के कुंड पर बर्बरीक जी का शीश मिला था। इसी वजह से इस कुंड की भी विशेष मान्यता है।
Khatushyam Temple : खाटू श्याम मंदिर की वास्तुकला
खाटूश्याम मंदिर की स्थापना प्राचीन काल में 1027 ई. में हुई थी। खाटूश्याम बाबा के एक भक्त दीवान अभय सिंह ने 1720 ई. में इसका पुनिर्माण कराया था। तभी मूर्ति को मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया गया। जहाँ आज भी स्थापित हैं और पूजा अर्चना की जाती हैं।
खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple) का निर्माण करने के लिए पत्थरों और संगमरमर का उपयोग किया गया था। मंदिर के द्वार सोने की पत्ती लगा कर आकर्षिक बनाया गया है।
खाटूश्याम बाबा मंदिर के बाहर जगमोहन के नाम से जाना जाने वाला प्रार्थना कक्ष भी है। जहा बेथ कर भक्त अपनी प्रार्थना कर सकते हैं।
Khatushyam Temple Secretes: खाटूश्याम मंदिर से जुड़े रहस्य
खाटूश्याम बाबा या कहे खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple Vastu) ही विचित्र हैं। हर चीज़ में इतिहास के बड़े रोचक तथ्य हैं जिसे सभी को जानना जरुरी हैं। आज कलयुग में जहा चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ हैं ऐसे में शांति व उन्नति एक राह हैं खाटूश्याम का दरबार ही हैं।
खाटूश्याम मंदिर से जुड़ें रोचक तथ्य
- खाटूश्याम का जन्मदिवस (Khatushyam Birthday) देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता हैं। पुरे देश में जश्न का माहौल होता हैं।
- खाटूश्याम मंदिर परिसर में मेला लगता हैं जो फाल्गुन माह की शुल्क षष्ठी से बारस तक मेला लगता हैं जो खाटूश्याम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में लगता हैं।
- बर्बरीक देवी के उपासक थे देवी के ही आशीर्वाद से उन्हें तीन तीर का आशीर्वाद दिया था। जो तीर लक्ष्य प्राप्त करने के बाद वापस आ जाते थे जिससे बर्बरीक अजेय थे।
- बर्बरीक ने जब श्री कृष्ण से महाभारत के युद्ध को देखने की इच्छा प्रकट की थी तब श्री कृष्ण ने एक दिव्य दृष्टि प्रदान की थी जिससे पूरा युद्ध देखा।
- बर्बरीक ने जब महाभारत के युद्ध का फैसला सुनाया था तब कहा की युद्ध में दोनों और श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र चल रहे थे और द्रोपती चांडाली या कहे महाकाली का रूप धारण कर रक्तपात कर रही थी।
- श्री कृष्ण के वरदान के अनुसार कलयुग में खाटूश्याम बाबा के स्मरण मात्र से भक्तों के सभी दुःख तकलीफ दूर हो जायगी।
- बर्बरीक भीम व अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा शक्तिशाली था।
- बर्बरीक अर्जुन से भी ज्यादा बड़े धनुर्धर थे।
- खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple) में एक कुंड हैं। जिसकी बहुत ही अधिक मान्यता हैं कियुकी इसी कुंड में खाटूश्याम बाबा का सिर मिला था जिसकी उपासना सभी करते हैं।
- खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple) मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको ट्रैन या फ्लाइट नहीं मिलती हैं आपको रोड से ही जाना होता हैं।
Khatushyam Temple : खाटूश्याम बाबा को क्या समर्पित कर के मनोकामना मांगना चाहिए
श्री कृष्ण के वरदान के अनुसार कलयुग में खाटूश्याम की प्रसिद्धि चारो तरफ बढ़ रही हैं। हर शहर में मंदिर बन रहे हैं लोगो की आस्था दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। भारत ही नहीं विदेशो से भी लोग खाटूश्याम की नगरी (Khatushyam ki nagri) दर्शन करने आते हैं।
- खाटूश्याम मंदिर में गुलाब का फूल चढ़ाया जाता हैं कहा जाता हैं की खाटूश्याम को गुलाब बहुत प्रिय हैं इसीलिए जब कोई भक्त सच्चे मन से उन्हें गुलाब समर्पित करते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
- चुकी खाटूश्याम भगवन कृष्ण के कलयुगी अवतार माने जाते हैं इसीलिए जब कृष्ण प्रिय मोरपंख खाटूश्याम को चढ़ाते हैं तो वो भक्त खाटूश्याम के और करीब आ जाते हैं। मान्यता हैं की यदि खाटूश्याम के मंदिर से ला कर मोरपंख अपने घर पर लगाने से घर की नेगेटिविटी दूर हो जाती हैं और सभी रुके हुए कार्य बन जाते हैं।
- जब से खाटूश्याम मंदिर की स्थापना हुयी हैं तब से मान्यता हैं की खाटूश्याम को इत्र चढ़ाने वाला भक्त कभी खाली हाथ अपने घर नहीं लौटता हैं। इत्र की 2 डिब्बी खरीद एक खाटूश्याम को चढ़ाना तथा दूसरी डिब्बी अपने घर ले जाने वाला भक्त यदि संतान प्राप्ति के लिए आया हो , शादी ना हो रही हो या सरकारी नौकरी ना लग रही हो सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं।
- ऐसा नहीं हैं की भक्त को कुछ न कुछ चढ़ाना ही होगा यदि कोई भक्त सच्चे मन से खाटू की नगरी खाटूश्याम जा कर अपनी अर्जी भी लगता हैं तो उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
- खाटूश्याम के मंदिर में नारियल लाल कपडे में बांध अपनी मनोकामना बाबा को बता कर मंदिर की दिवार पर बांध कर आ जाते हैं और जब मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं तब वे नारियल खोलने खाटूश्याम मंदिर जा कर खोलते हैं।
khatushyam Temple Darshan : खाटूश्याम मंदिर दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय कब है?
खाटू श्याम मंदिर साल भर खुला रहता है। हालांकि, फाल्गुन महीने में लगने वाला मेला विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस दौरान लाखों भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं।एकादशी पर खाटूश्याम का जन्म उत्सव मनाया जाता हैं जिसे देखने जरूर जाना चाहिए।
khatushyam Temple Rules : खाटूश्याम मंदिर में क्या नियम हैं?
खाटूश्याम मंदिर में कुछ नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है:
खाटूश्याम मंदिर परिसर में साफ-सफाई बनाए रखें।
खाटूश्याम मंदिर के अंदर मोबाइल फोन का उपयोग न करें।
मंदिर के अंदर शोर न करें।
महिलाओं को मंदिर में साड़ी या सूट पहनना चाहिए।
पुरुषों को कुरता-पायजामा या धोती-कुर्ता पहनना चाहिए।
khatushyam Temple Rajasthan Distance From Indore : इंदौर से खाटूश्याम मंदिर पहुंचने में कितना दूर हैं ?
इंदौर से खाटूश्याम मंदिर पहुंचने 669 किलो मीटर दूर हैं। गाड़ी से 12 घंटे का समय लगता हैं।
खाटूश्याम का मंदिर पुरे देश में एक ही हैं क्या ?
खाटूश्याम के कई मंदिर हैं पुरे देश में परन्तु यदि बात करें बर्बरीक का शीश कहा स्थापित हैं तो वो खाटू गाँव में स्थित हैं।
खाटूश्याम कौन हैं ?
खाटूश्याम श्री कृष्ण का कलयुग अवतार हैं। बर्बरीक घटोत्कच का पुत्र था।
Hare Ka Sahara Khatushyam Hamara
दोस्तों, इस उम्मीद है आपको इस आर्टिकल से खाटूश्याम मंदिर (Khatushyam Temple History in Hindi) & स्तुति पढ़ने के लाभ की जानकारी जरुर मिली होगी। अगले आर्टिकल में हमने खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa) का वर्णन किया है। कृपया आप उसे भी जरूर रीड करे।
Disclaimer: यह जानकारी इंटरनेट सोर्सेज के माध्यम से ली गयी है। जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। धर्मकहानी का उद्देश्य सटीक सूचना आप तक पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता सावधानी पूर्वक पढ़ और समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इस जानकारी का उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। अगर इसमें आपको कोई गलती लगाती है तो कृपया आप हमें हमारे ऑफिसियल ईमेल पर जरूर बताये।
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