मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir Mandsaur), भगवान शिव के अष्टमुखी (8 Mukhi) दिव्य स्वरूप को समर्पित है। यह भारत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पशुपतिनाथ मंदिर माना जाता है और आज यह धार्मिक स्थल टूरिस्ट (Mandsaur Tourist Places) की भी पसंदीदा जगह बन चुका है।
यह मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है और इससे जुड़ी कई रहस्यमयी मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।
मंदसौर का अष्टमुखी पशुपतिनाथ मंदिर (Ashtamukh Pashupatinath Temple)
मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर मंदसौर (Mandsaur) में स्थित यह मंदिर केवल भगवान शिव का मंदिर नहीं है, बल्कि शिव के अष्टमुखी स्वरूप को समर्पित है।
भगवान शिव ने यह रूप एक राक्षस का वध करने के लिए धारण किया था। हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान शिव के आठ रूपों का उल्लेख मिलता है, और यह मंदिर उन्हीं आठ रूपों का प्रतीक है। इसकी भव्यता, आस्था और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर का इतिहास (Pashupatinath Mandir Mandsaur History)
इस मंदिर का निर्माण 5वीं शताब्दी ईस्वी में औलिकरा वंश के राजा यशोवर्मन द्वारा कराया गया था। ऐतिहासिक अभिलेखों और शिलालेखों से पता चलता है कि यह मंदिर प्राचीन काल में भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र रहा होगा।
इस मंदिर की शिव प्रतिमा एक विशाल चट्टान से तराशी गई है और यह अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प और चमत्कारी मान्यताओं के कारण दुनियाभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। प्राचीन काल मैं उदा नाम का एक धोबी था वह भगवान शंकर का परम भक्त था। उदा रोज एक काले शिला या कहे पत्थर पर कपड़े धोता था।
एक दिन रात्रि में उदा सो रहा था तभी भगवान शंकर उनके सपने मैं आये और कहने लगे उदा तुम जिस पत्थर पर कपड़े धोते हो वही मेरा आख्वा अवतार हैं। सुबह होते ही उदा ने इस सपने की चर्चा दोस्तों तथा गाँव वालो से की सभी ने मिल कर निर्णय लिया की अपन इस पत्थर या कहे ूर्ति को बाहर निकलते हैं। परन्तु वह मूर्ति बहुत ही विशाल और भारी थी। परन्तु सभी ने हिम्मत नहीं हारी और 16 बेलों के जोड़े और लोगो ने मिल का इस असंभव कार्य को संभव बनाया और मूर्ति को बाहर निकाल ली थी।
मूर्ति को बाहर निकालने के बाद शिव जी का जयकारा लगते हुए नदी से दूर खिसकाया गया। परन्तु एक स्थान ऐसा आया जहा जयदा से ज़्यादा प्रयत्न करने के बाद भी मूर्ति नहीं खसक रही थी। उस स्थान पर भगवान शिव के आठवें स्वरुप पशुपतिनाथ भगवान की मूर्ति स्थापित की गयी।
माना जाता है कि पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर (Pashupatinath Mandir Mandsaur) का निर्माण 11वीं शताब्दी में भव्य रूप से परमार राजवंश द्वारा नागर शैली में किया गया था।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर वास्तुकला (Pashupatinath Temple Mandsaur Architecture)
पशुपति मंदिर में एक बड़ा काले पत्थर का लिंगम है, जिसके एक चांदी के नाग से घिरा हुआ है, जो माता पार्वती का प्रतीक है। यह अनूठी मूर्ति चिकने, चमकदार, गहरे तांबे से बनी हुई है। पशुपतिनाथ की मूर्ति पूरे विश्व में अद्वितीय व अनोखी है। इसके आठ मुख हैं, जो शिव की अष्टमुखी (8 Mukhi) मूर्ति अलग-अलग मुद्राओं में नजर आते हैं। महादेव श्री पशुपतिनाथ की मूर्ति एक ही पत्थर पर बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाई गई है।
पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir Mandsaur) में भगवान शिव की शिव के अष्टमुखी (8 Mukhi) मनमोहक मूर्ति है, जिसका वजन 4600 किलोग्राम है, जिसकी सीधी ऊंचाई 7.25 फीट और घुमावदार ऊंचाई 11.25 फीट है।
प्रत्येक मुख का अपना एक नाम है जिसका उल्लेख यहां किया गया है: शर्व, भद्र, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, महादेव, ईशान। प्रसिद्ध मंदिर में चार दरवाजे हैं जो चार अलग-अलग दिशाओं, उदाहरण के लिए उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में मार्ग प्रशस्त करते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir Mandsaur Architecture) परिसर में एक मुख्य मंदिर, एक मंडप और एक शिखर है। मुख्य मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है और जटिल नक्काशी से सुसज्जित है जो बहुत ही आकर्षित करती हैं। मंडप एक बड़ा स्तंभों वाला हॉल है जिसका उपयोग धार्मिक समारोहों करने के लिए किया जाता है।
शिखर मंदिर का विशाल शिखर है और भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन्न दृश्यों को दर्शाती जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सुसज्जित है।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर दर्शन का समय (Pashupatinath Mandir Mandsaur Time )
मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर(Pashupatinath Mandir Mandsaur kab khulta hain) सप्ताह के हर दिन खुला रहता है। भक्तों के दर्शन के लिए बाबा का द्वार सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक रहता हैं।
S.No. | दर्शन | समय |
1 | दर्शन का समय | सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक |
2. | मंगला आरती और श्रृंगार आरती समय | सुबह 7 :30 बजे |
3. | राजभोग आरती | 11:00 बजे |
4. | शिरंगार आरती | शाम 4:00 बजे |
5. | संध्या आरती | शाम 7:00 बजे |
Pashupatinath Mandir Mandsaur : पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर से जुड़ें अद्भुत रहस्य।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर के बारे मैं आपने बहुत सुना होगा परन्तु क्या अपने पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर (Pashupatinath Mandir Mandsaur)से जुड़े अद्भुत और रहस्य्मय बातों के बारे मैं जानते हैं ?
आइये जानते हैं पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर के बारे में।
- पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर के संस्थापक राजवंश थे।
- पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर का निर्माण नागर शैली मैं किया गया हैं।
- इस मंदिर मैं महा शिवरात्रि एवं सावन के महीने में भव्य मेला लगता हैं जिसमे भक्त गण दूर दूर से आते हैं। मान्यता हैं की यदि शिवरात्रि के दिन इस पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा अर्चना या कहे दर्शन मात्र से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। सभी मुसीबतों व समस्याओं से मुक्ति मिलती हैं।
- यह मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है। शिवना नदी में स्नान का भी बहुत महत्त्व हैं।
- इस मंदिर मैं पशुपतिनाथ आरती करने लोग दूर दूर से आते हैं।
- मान्यता हैं की एक केशी नाम का राक्षस था। उसको अमर होने का वरदान था जिसके कारण उसका घमंड चरम पर था स्थानिय लोगो को बहुत परेशान करने लगा ऐसे में स्थानीय लोगो ने भगवान शंकर की पूजा अर्चना की और प्रार्थना की हमारी रक्षा करें। भगवान शिव ने अपने पशुपतिनाथ रूप धारण कर राक्षस केशी को हराया और सभी की रक्षा की थी। इसीलिए मंदसौर के लोगो की शिव मैं विशेष आस्था हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर से जुड़े सवाल ( FAQ of Pashupatinath Mandir Mandsaur )
पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर की खासियत क्या है?
मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव की 8 मुखों वाली दुर्लभ प्रतिमा तथा मंदिर का वास्तुकला है, जो इस मंदिर को अद्वितीय बनाती है।
इस मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया?
मंदिर का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है और इसे औलिकरा वंश के राजा यशोवर्मन द्वारा बनवाया गया था।
मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर की मूर्ति का क्या रहस्य है?
पशुपतिनाथ मंदिर की मूर्ति के आठ मुख अलग-अलग दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा जीवन क अवस्थाएँ बताती हैं। यह नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की तरह विशेष है।
मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के मंदिर से कैसे अलग है?
नेपाल का मंदिर विशाल है, लेकिन मंदसौर का मंदिर विशेष 8 मुखों वाली मूर्ति के कारण अलग पहचान रखता है।
मंदसौर कैसे पहुंचें और यहां ठहरने की क्या व्यवस्था है?
मंदसौर पहुंचने के लिए आप रेल और सड़क मार्ग दोनों का इस्तेमाल कर सकते है, और यहां धार्मिक व आधुनिक होटल्स उपलब्ध हैं। जहा आप ठहर सकते हैं। यहाँ आप कम से कम खर्च में रह सकते हैं।
दोस्तों, आपको हमने पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर (Pashupatinath Mandir Mandsaur) के बारे में जानकारी दी है। इस आर्टिकल को हम आगे भी अपडेट करते रहेंगे। जैसे यहाँ ठहरने के स्थान, कैसे पहुंचे, किस मार्ग से आसान है जैसी जानकारी। इसलिए आप इस ब्लॉग पर फिर से जरूर अपडेटेड जानकारी रीड करने के लिए आये।
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