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Santoshi Mata: जाने कैसे उत्पन्न हुई संतोषी माता और शुक्रवार को क्यों की जाती हैं पूजा-अर्चना।

माँ दुर्गा का कोमल रूप है माता संतोषी (Santoshi Mata) शुभ लाभ के बहन पाने की चाह ने माता संतोषी को जन्म दिया था आइये जानते हैं कैसे हुआ माता संतोषी का जन्म? शुक्रवार को ही क्यों जाती हैं माता संतोषी की पूजा-अर्चना।

माता संतोषी की महिमा ही अध्भुत हैं। जो भी माता संतोषी की पूजा अर्चना सच्चे मन से करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। जैसे हर भगवान का एक दिन माना गया हैं सोमवार भोले भंडारी का, मंगलवार हनुमान जी का, शनिवार शनि देव का वैसे ही शुक्रवार का दिन माता वैभव लक्ष्मी, संतोषी का होता हैं। माता संतोषी की सच्चे दिल से शुक्रवार के दिन पूजा अर्चना की जाये तो माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। कुवारी कन्याँए माता संतोषी की पूजन करे तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती हैं। शादीशुदा महिला को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।

Santoshi Mata ke janm ki katha : माता संतोषी का जन्म कैसे हुआ ?

पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन जब भगवान गणेश और उनकी पत्नियाँ माता रिध्धि व माता सिद्धि गणेश जी की बहिन से राखी बंधवा रहे थे। तभी वह शुभ और लाभ दोनों आ गए और गणेशजी से पूछने लगे की ये धागा क्यों बंधवा रहे हैं पिता श्री तभी गणेश जी ने बताया की यह सिर्फ एक धागा नहीं हैं यह रक्षा का वादा हैं। हर बहिन अपने भाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं की उसके भाई की रक्षा करें। हर भाई इस रक्षा सूत्र के बदले बहिन को रक्षा का वादा करता हैं की हर परिस्थिति मैं अपनी बहन की रक्षा करेगा।

गणेश जी से राखी का महत्त्व जान शुभ लाभ ने भी बहन की कामना की और अपने पिता और माता से कहा उन्हें भी बहन चाहिए। शुभ लाभ की यह मनोकामना जान गणेश जी ने अपनी शक्ति से एक जोति प्रकट की उस ज्योति से tuiमाता रिद्धि व सिद्धि की आत्म शक्तियों से मिला दिया जिससे एक ज्योति उत्पन्न हुई जिससे एक कन्या ने जन्म लिया जिसका नाम संतोषी रखा गया। वह संतोषी माता (Santoshi Mata) के नाम से विश्व में विख्यात हुई।

Santoshi Mata Kiska Avtar Hain : संतोषी माता किसका स्वरुप हैं ?

संतोषी माता माँ दुर्गा का कोमल शांत रूप हैं। संतोषी माता संतुष्टि का प्रतिक मणि जाती हैं। संतोषी माता कोमल कमल के ऊपर विराजित होती हैं। माता संतोषी का रूप बहुत ही आकर्षक हैं।

संतोषी माता धन की भी देवी मानी जाती हैं। जब भी घर में ज्यादा कलेश हो रहे हो धन की कमी हो ऐसे में माता संतोषी की शुक्रवार के दिन पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा भक्ति से की जाये तो आपका जीवन सफल हो जायगा जीवन में शांति मिलेगी।

Santoshi Mata: संतोषी माता की पूजा शुक्रवार को ही क्यों की जाती हैं ?

जैसे की हमने आपको ऊपर संतोषी माता के जन्म की कहानी (Santoshi Mata Born Story) बतायी। संतोषी माता का ज्योति से कन्या रूप में धरती पर प्रकट होने का दिन शुक्रवार ही था। इसीलिए शुक्रवार के दिन माता संतोषी का दिन माना जाता हैं। शुक्रवार के दिन खट्टा भी नहीं खाया जाता हैं।

मान्यता हैं की यदि संतोषी माता के उपवास (Santoshi Mata Vrat) वाले दिन किसी भी खट्टी चीज़ का सेवन किया जाता हैं तो वे रुष्ट हो जाती हैं। व्रत का विपरीत प्रभाव डालती हैं। संतोषी माता व्रत के शुभ फल की जगह माता की कुदृष्टि को झेलना पड़ता है। संतोषी माता व्रत में किसी भी तामसिक चीजों जैसे, प्याज, लहसुन, शराब, मांस आदि को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। शुक्रवार के दिन किसी से गलत न बोलें और किसी का बुरा न करें और न ही सोचें।

मान्यता हैं की यदि संतोषी माता के उपवास (Santoshi Mata Vrat) वाले दिन किसी भी खट्टी चीज़ का सेवन किया जाता हैं तो वे रुष्ट हो जाती हैं। व्रत का विपरीत प्रभाव डालती हैं। संतोषी माता व्रत के शुभ फल की जगह माता की कुदृष्टि को झेलना पड़ता है। संतोषी माता व्रत में किसी भी तामसिक चीजों जैसे, प्याज, लहसुन, शराब, मांस आदि को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। शुक्रवार के दिन किसी से गलत न बोलें और किसी का बुरा न करें और न ही सोचें।

संतोषी माता के उपवास (Santoshi Mata Vrat) में संतोषी माता की चालीसा व संतोषी माता की आरती करना चाहिए। जब संतोषी माता की चालीसा का पाठ उपवास के दिन किया जाता हैं तप माता संतोषी की विशेष कृपा बरसती हैं।

मान्यता हैं यदि संतोषी चालीसा का पाठ 11 शुक्रवार किया जाये तो मनुष्य के जीवन के सभी संकट दूर हो जाती हैं जीवन में सुख शांति और समृद्धि प्राप्त होती हैं।

दोस्तों, आपको हमने माता संतोषी के जीवन के बारे में जानकारी दी है। इस आर्टिकल को हम आगे भी अपडेट करते रहेंगे। इसलिए आप इस ब्लॉग पर फिर से जरूर अपडेटेड जानकारी रीड करने के लिए आये।

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